अध्याय 1 : राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ- Class 12 Political Science NCERT Solutions in Hindi
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building) स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों की राजनीति और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का महत्वपूर्ण अध्याय है। इस अध्याय में यह समझाया गया है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना किया।
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| राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ |
1. विभाजन के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(क) भारत का विभाजन “द्वि-राष्ट्र सिद्धांत” का परिणाम था।
(ख) पंजाब और बंगाल दो प्रांत थे जो धर्म के आधार पर विभाजित थे।
(ग) पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान सटे हुए नहीं थे।
(घ) विभाजन की योजना में सीमा पार जनसंख्या के स्थानांतरण की योजना शामिल थी।
उत्तर: (घ)2. निम्नलिखित सिद्धांतों के साथ उचित उदाहरण का मेल करें
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
Q1. राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ क्या हैं?
Q3. सामाजिक चुनौतियाँ क्या थीं?
Q4. आर्थिक चुनौतियाँ क्या थीं?
Q5. बोर्ड परीक्षा के लिए कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
(क) धर्म के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण
(ख) विभिन्न भाषाओं के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण
(ग) भौगोलिक आधार पर किसी देश के क्षेत्र का सीमांकन किसी देश के भीतर
(घ) प्रशासनिक और राजनीतिक आधार पर क्षेत्र का नामांकन
(i) पाकिस्तान और बांग्लादेश
(ii) भारत और पाकिस्तान
(iii) झारखण्ड और छत्तीसगढ़
(iv) हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
उत्तर: (क)-ii (ख)-i (ग)-iv (घ)-iii
3. भारत का कोई समकालीन राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएं दिखाई गई हो) और नीचे लिखी रियासतों के स्थान चिन्हित कीजिए-
1. जूनागढ़ 2. मणिपुर 3. मैसूर 4. ग्वालियर
उत्तर: समकालीन राजनीतिक नक्शा
4. नीचे दो तरह की राय लिखी गई है :
विस्मय : रियासतों को भारतीय संघ में मिलने से रियासतों की प्रजा तक लोकतंत्र का विस्तार हुआ।
इंद्रप्रीत : यह बात मैं दावे के साथ नहीं कह सकता इसमें बल प्रयोग भी हुआ था जबकि लोकतंत्र में आम सहमति से काम लिया जाता है।
देसी रियासतों के विलय और ऊपर के मशविरे के आलोक में इस घटना क्रम पर आपकी क्या राय है?
उत्तर: विस्मय की राय (लोकतंत्र का विस्तार हुआ) सही है क्योंकि:
1947 में भारत आज़ाद हुआ तो लगभग 565 देसी रियासतें भारत में शामिल थीं, जिनके शासक अपने राज्यों पर शासन किया करते थे, और आम जनता को लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन के प्रयासों से अधिकतर रियासतें शांतिपूर्ण ढंग से भारत में शामिल हो गईं। जिससे कि जनता को भारतीय संविधान के अंतर्गत शामिल समान अधिकार, मतदान का अधिकार और लोकतांत्रिक शासन प्रणाली प्राप्त हुई। इससे एकीकृत भारत का निर्माण हुआ और लोकतंत्र को फैलाने में मदद मिली।
इंद्रप्रीत की राय (बल प्रयोग का भी इस्तेमाल हुआ) यह भी सही है:
अधिकतर रियासतों का विलय शांतिपूर्ण था, लेकिन कुछ रियासतें ऐसी भी थीं जिन्होंने खुद को भारत में विलय होने से इनकार किया जैसे: (i) हैदराबाद रियासत - वहां के निज़ाम ने भारत में विलय से इनकार किया, जिसके चलते "ऑपरेशन पोलो" नाम से सैन्य कार्रवाई कर भारत में इस रियासत को शामिल किया गया।
(ii) जूनागढ़ रियासत : इसके मुस्लिम शासक ने खुद को पाकिस्तान के साथ विलय होने का प्रयास किया, परन्तु वहां की आम जनता भारत में विलय होना चाहती थी जिसके परिणामस्वरूप बाद में जनमत संग्रह द्वारा इस विरासत को भी भारत में शामिल कर लिया गया।
(iii) कश्मीर रियासत : इसकी स्थिति बहुत जटिल रही और भारत-पाकिस्तान के युद्ध का कारण भी बनी।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि कुछ मामलों में बल प्रयोग का उपयोग किया गया था।
मेरी राय अनुसार :
देसी रियासतों का भारतीय संघ में विलय एक ऐतिहासिक आवश्यकता थी, जिसने भारत की एकता, अखंडता और लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया। यह भारत के राष्ट्रीय हितों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक था।
5. नीचे 1947 के अगस्त के कुछ बयान दिए गए हैं जो अपनी प्रकृति में अत्यंत भिन्न है :
आज आपने अपने सर पर कांटों का ताज पहना है सत्ता का आसान एक बुरी चीज है इस आसन पर आपको बड़ा सचेत रहना होगा......... आपको और ज्यादा विनम्र और धैर्यवान बनना होगा......... अब लगातार आपकी परीक्षा ली जाएगी।
--- मोहनदास करमचंद गांधी
भारत आजादी की जिंदगी के लिए जागेगा......... हम पुराने से नए की और कदम बढ़ाएंगे......... आज दुर्भाग्य की एक दौर का खात्मा होगा और हिंदुस्तान अपने को फिर से पा लेगा......... आज हम जो जश्न मना रहे हैं वह एक कदम भर है संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं .........
--- जवाहरलाल नेहरू
इन दो बयानो से राष्ट्र निर्माण का जो एजेंडा ध्वनित होता है उसे लिखिए। आपको कौन सा एजेंडा जच रहा है और क्यों?
उत्तर: गांधी जी का कथन –
(i) नैतिकता, संयम और धैर्य पर बल देना।
(ii) सत्ता को कांटों का ताज कहा गया है – यह दर्शाता है कि सत्ता केवल विशेषाधिकार नहीं, बल्कि त्याग और बलिदान की मांग करती है और सत्ता के आकर्षण से सावधान रहने की चेतावनी देती हैं।
गांधी जी का दृष्टिकोण यह बताता है कि राष्ट्र का निर्माण केवल राजनीतिक सत्ता से संभव नहीं है बल्कि नैतिक मूल्यों, विनम्रता, अहिंसा और जनसेवा के निरंतर अभ्यास से संभव होगा।
नेहरू जी का कथन – उन्होंने प्रगति और नव निर्माण पर बल दिया हैं
पुरानी समस्याओं को पीछे छोड़कर नए भारत के निर्माण की ओर अग्रसर होना।
→ मुझे गांधी जी का एजेंडा अधिक जंचता है, क्योंकि:
(i) नैतिक मूल्यों के बिना सत्ता भ्रष्ट हो जाती है।
(ii) केवल विकास या आधुनिकता ही पर्याप्त नहीं है, उसमें नैतिक अनुशासन और जनकल्याण की भावना होने आवश्यक है। बिना नैतिकता के प्रगति दिशाहीन हो सकती है।
→ नेहरू जी का दृष्टिकोण आशावादी और प्रगतिशील है वही दूसरी और गांधी जी का दृष्टिकोण उसकी रीढ़ है।
6. भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए नेहरू ने किन तर्कों का इस्तेमाल किया। क्या आपको लगता है कि यह केवल भावनात्मक और नैतिक तर्क हैं अथवा इनमें कोई युक्तिपर्क भी है?
उत्तर: नेहरू द्वारा दिए गए तर्क:
(i) राष्ट्रीय एकता का तर्क : नेहरू मानते थे कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहाँ भिन्न-भिन्न धर्म, जाति , भाषा और संस्कृति को मानने वाले लोग हैं, धर्म के आधार पर विभाजन राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को खतरे में डाल सकता है। इसलिए, धर्मनिरपेक्षता एकजुटता के लिए आवश्यक जो सभी समुदायों को साथ लेकर चल सकती है।
(ii) लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का तर्क : भारत ने एक लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया हैं जिसमें प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्रदान किये गए हैं। जिसमे धार्मिक भेदभाव संविधान की मूल भावना के विरुद्ध होगा।
(iii) विज्ञान और आधुनिकता के दृष्टिकोण का तर्क : नेहरू आधुनिक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर थे। उनका मानना था कि धर्म पर आधारित राजनीति समाज को पीछे ले जाती है और उसमें कट्टरता बढ़ती है।
यह समाज में प्रगतिशीलता को बढ़ावा देती है
यह केवल भावनात्मक और नैतिक तर्क नहीं है, इनमें स्पष्ट रूप से युक्तिपरक भी हैं:
(i) राष्ट्रीय एकता बनाए रखने का रणनीतिक दृष्टिकोण
(ii) लोकतंत्र और संविधान की रक्षा
(iii) प्रगति और आधुनिकता को बढ़ावा देना
(iv) समाज में एकता व समरसता बनाए रखना
→ नेहरू के तर्क भावनात्मक, नैतिक और युक्तिपरक – तीनों प्रकार के थे। उन्होंने भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाकर यह सुनिश्चित किया कि देश की विविधता एकता में बदले, न कि संघर्ष में।
7. आजादी के समय देश के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में राष्ट्र निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य अंतर क्या थे?
उत्तर: पश्चिमी इलाका (पाकिस्तान की सीमा से लगा क्षेत्र) :
(i) बड़ी संख्या में शरणार्थियों का आगमन: भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण बड़े पैमाने पर पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान से हिन्दू और सिख शरणार्थीयों का स्थानांतरण और सांप्रदायिक दंगे हुए।
(ii) पुनर्वास की चुनौती: इन शरणार्थियों के लिए रहने, खाने की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी।
2. पूर्वी इलाका (पूर्वी पाकिस्तान से सटा बंगाल क्षेत्र):
(i) निरंतर प्रवास: पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से लगातार प्रवासी आते रहे। यह धीरे-धीरे और लंबे समय तक चलता रहा, जिससे इसे संभालना और भी जटिल था।
(ii) सांस्कृतिक और भाषाई तनाव: यहाँ सांस्कृतिक एकरूपता (बंगाली संस्कृति) तो थी, परन्तु धर्म के आधार पर इसे अलग देश (पूर्वी पाकिस्तान) बनाया गया। पूर्व में भाषाई-सांस्कृतिक असंतोष से राष्ट्र की एकता को बनाए रखने की चुनौती।
8. राज्य पुनर्गठन आयोग का काम क्या था इसके प्रमुख सिफारिश क्या थी ?
उत्तर: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत को एक बड़ी जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा वह थी राज्यों का गठबंधन भाषा या जनसंख्या के आधार पर किया जाए इसके लिए 1953 में केंद्र सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया।
राज्य पुनर्गठन आयोग का काम :
(i) भारत के विभिन्न हिस्सों को प्रशासनिक सुविधाएं प्रदान करना।
(ii) भाषाई समानता बनाये रखना।
(iii) एकता एवं अखंडता को ध्यान में रखते हुए राज्य पुनर्गठन के लिए सुझाव देना।
(iv) राज्यों के सीमांकन के मामले पर गौर करना
राज्य पुनर्गठन आयोग की प्रमुख सिफारिश:
आयोग ने भाषा को आधार मानकर राज्यों के पुनर्गठन करने की सिफारिश की।
इसकी सिफारिश के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियमपास हुआ।
इस अधिनियम के तहत भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया गया।
9. कहां जाता है कि राष्ट्र एक व्यापक अर्थ में 'कल्पित समुदाय' होता है और सर्वसामान्य विश्वास, इतिहास, राजनीतिक आकांक्षा और कल्पनाओं से एकसूत्र में बंधा होता है। उन विशेषताओं की पहचान करें जिनके आधार पर भारत एक राष्ट्र है।
उत्तर: विशेषताएं :
(i) भारत का एक लंबा और साझा इतिहास है, चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या सांस्कृतिक परंपराएँ। यह लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करता हैं।
(i) भारत का एक लंबा और साझा इतिहास है, चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो या सांस्कृतिक परंपराएँ। यह लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करता हैं।
(ii) हमारा संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार व महत्व देता है।
(iii) देश के लोग लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता में विश्वास रखते हैं।
(iv) भारत में कई भाषाएँ, धर्म और संस्कृतियाँ हैं, फिर भी भारत की राष्ट्रीय एकता व अखंडता मजबूत हैं।
(v) भारत में मजबूत लोकतंत्र कायम हैं।
(vi) एक राष्ट्रध्वज, एक राष्ट्रगान, राष्ट्रीय पर्व और भारतीयता की भावना से जुड़े हुए हैं, इसलिए भारत एकता व अखंडता के सूत्र में बंधा हुआ हैं।
10. नीचे लिखे अवतरण को पढ़िए और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
राष्ट्र-निर्माण के इतिहास के लिहाज से सिर्फ सोवियत संघ में हुए प्रयोग की तुलना भारत से की जा सकती है। सोवियत संघ में भी विभिन्न और परस्पर अलग-अलग जातिएँ समूह, धर्म, भाषाई समुदाय और सामाजिक वर्गों के बीच एकता का भाव कायम करना पड़ा। जिस पैमाने पर यह काम हुआ, चाहे भौगोलिक पैमाने के लिहाज से देखें या जनसंख्यागत वैविध्य के लिहाज से, वह अपनेआप में बहुत व्यापक कहा जाएगा। दोनों ही जगह राज्य को जिस कच्ची सामग्री से राष्ट्र निर्माण की शुरुआत करनी थी वह समान रूप से दुष्कर थी। लोग धर्म के आधार पर बटें हुए और कर्ज तथा बीमारी से दबे हुए थे।
--- रामचंद्र गुहा
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उत्तर: (क) समानता :
(i) धर्म, भाषा, जाति आदि में विविधता : भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे कई धर्म हैं; कई भाषाएँ बोली जाती हैं जैसे हिंदी, तमिल, बंगाली आदि।
(ii) विभाजित समाज : विभाजन के समय भारत में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए।
(iii) गरीबी, कर्ज और बीमारी : आज़ादी के समय भारत की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। लोगों के पास रोजगार नहीं था और स्वास्थ्य सेवाएँ कमजोर थीं।
(ख) असमानता :
(i) शासन प्रणाली : भारत में लोकतंत्र है, जबकि सोवियत संघ में एकदलीय तानाशाही व्यवस्था थी।
(ii) राजनीतिक स्वतंत्रता : भारत में नागरिकों को बोलने, धर्म और चुनाव की स्वतंत्रता मिली जबकि वहां राजनीतिक विरोध नहीं किया जाता था।
(ग) भारत ने बेहतर काम किया:
(i) भारत में लोकतंत्र को सफलतापूर्वक कायम रखा गया।
(ii) संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार दिए गए।
(iii) विविधता के बावजूद भारत एक एकीकृत राष्ट्र बना रहा।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
Q1. राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ क्या हैं?
Ans : स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक एकता, आर्थिक विकास और संघीय ढांचे को बनाए रखना राष्ट्र निर्माण की मुख्य चुनौतियाँ थीं।
Q2. स्वतंत्र भारत में राजनीतिक चुनौतियाँ कौन-कौन सी थीं?
Ans : भाषा और धर्म आधारित विभाजन
संघीय ढांचे में राज्यों और केंद्र के बीच संतुलनराजनीतिक स्थिरता और लोकतंत्र की मजबूती
Ans : भाषा और धर्म आधारित विभाजन
संघीय ढांचे में राज्यों और केंद्र के बीच संतुलनराजनीतिक स्थिरता और लोकतंत्र की मजबूती
Q3. सामाजिक चुनौतियाँ क्या थीं?
Ans : जाति, धर्म और क्षेत्रीय विविधता के कारण सामाजिक एकता बनाए रखना कठिन था।
Q4. आर्थिक चुनौतियाँ क्या थीं?
Ans : गरीबी, अशिक्षा, बुनियादी ढांचे की कमी और संसाधनों का असमान वितरण प्रमुख आर्थिक चुनौतियाँ थीं।
Q5. बोर्ड परीक्षा के लिए कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
Ans : स्वतंत्र भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ
संघीय ढांचे और राज्यों के बीच संतुलन
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