अध्याय 2 : एक दल के प्रभुत्व का दौर – Class 12 Political Science NCERT Solutions in Hindi
एक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance) स्वतंत्र भारत की राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस अध्याय में यह समझाया गया है कि किस प्रकार स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) ने भारतीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई और विपक्षी दलों की स्थिति सीमित रही।

एक दल का प्रभुत्व

क्षेत्र |
भारतीय जनसंघ : |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
आर्थिक नीति |
1. मिश्रित अर्थव्यवस्था की जगह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाता |
1. समाजवादी आर्थिक ढाँचा अपनानाऔर बड़े पैमाने पर उद्योगों का
राष्ट्रीयकरण करता |
विदेश नीति |
2. विदेश नीति के अन्तगर्त गुटनिरपेक्षता
का विरोध पश्चिमी
देशों, खासकर अमेरिका के साथ मजबूत
संबंध बनाना |
2. सोवियत संघ से निकटता और
साम्राज्यवाद का विरोध |
सांस्कृतिक नीति |
3. ‘एक राष्ट्र एक
संस्कृति पर बल। |
3. धर्मनिरपेक्षता पर ज़ोर और
सभी धर्मों के लिए समान
अधिकारों की बात |
यदि इन दलों में से कोई सत्ता में आता, तो भारत की राजनीतिक दिशा (विशेष रूप से आर्थिक विकास, धार्मिक नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों) में कांग्रेस से काफी अलग होती और यह भारत के नीति-निर्माण को एक बिल्कुल अलग दिशा में ले जा सकते थे।
5. कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।
कांग्रेस एक विचारधारात्मक गठबंधन :
उसमें समाज के अलग-अलग तबके, वर्ग, भाषा, धर्म, क्षेत्र , विभिन्न प्रकार की विचारधाराओं और राजनीतिक प्रवृत्तियों वाले लोग शामिल थे। यह एक “बड़े छाते” की तरह थी जिसमें अलग-अलग विचारधाराएँ आपस में सह-अस्तित्व में थीं
कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक प्रवृत्तियाँ :
1. उदारवादी-राष्ट्रवादी : संवैधानिक तरीके से स्वराज्य की मांग।
2. उग्रवादी-राष्ट्रवादी : स्वदेशी आंदोलन, बहिष्कार, सीधी कार्यवाही और जनता को सक्रिय आंदोलन से जोड़ने पर बल।
3. गांधीवादी : अहिंसा, सत्याग्रह, ग्राम स्वराज, छुआछूत-निवारण।
5. दक्षिणपंथी और धार्मिक राष्ट्रवादी प्रवृत्तियाँ : संस्कृति-संरक्षण।
6. गरमपंथी और नरमपंथी।
भारत |
मेक्सिको |
भारत में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र थे। |
वही दूसरी और मेक्सिको में
चुनावों में बेईमानी आम थी। |
विपक्षी दल स्वतंत्र रूप
से चुनाव लड़ सकते थे। |
विपक्षी दलों को चुनाव लड़ने
की स्वतंत्रता नहीं थी। |
लोकतंत्र वास्तव में मौजूद था और अभी
भी हैं |
लोकतंत्र , व्यवहार में नहीं था |
जनता के लोकप्रिय समर्थन
पर आधारित |
डर और चुनावी
मशीनरी के दुरुपयोग पर
आधारित |
विपक्षी दल भी धीरे-धीरे उभरा। |
विपक्ष बहुत कमज़ोर और नियंत्रण में
था। |
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – एक दल के प्रभुत्व का दौर
Q2. कांग्रेस प्रणाली की विशेषताएँ क्या थीं?
Ans : विपक्षी दलों का कमजोर और असंगठित होना
राजनीतिक स्थिरता और निर्णय लेने में सहजता
लोकतंत्र के भीतर बहुलता की सीमितता
Q3. इस दौर में भारतीय लोकतंत्र को कौन-कौन सी चुनौतियाँ मिलीं?
Ans : क्षेत्रीय और जातीय दलों का उदय
सत्ता की केंद्रीकरण और भ्रष्टाचार की संभावना
Q4. बोर्ड परीक्षा में कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
Ans : प्रमुख चुनौतियाँ और विपक्ष की भूमिका
लोकतंत्र में सत्ता के केंद्रीकरण का असर
अध्याय 3 : नियोजित विकास की राजनीति
Class 12 Political Science Important Questions (Board Exams)
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