अध्याय 3 : अमेरिकी वर्चस्व | Class 12 NCERT Solutions

कक्षा 12 राजनीति विज्ञान- अध्याय 3 : समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व NCERT Solutions in Hindi

समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व (American Hegemony in Contemporary World) आधुनिक वैश्विक राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस अध्याय में यह समझाया गया है कि किस प्रकार अमेरिका ने शीत युद्ध के बाद दुनिया में अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य शक्ति का प्रभाव बढ़ाया और वैश्विक स्तर पर अपनी वर्चस्व स्थिति बनाई। यह प्रश्न-उत्तर Class 12 Board Exam की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए बेहद उपयोगी हैं। Political Science Class 12 के इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न यहाँ सटीक उत्तरों के साथ दिए गए हैं।"

प्रश्न-उत्तर

1. वर्चस्व के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(क) इसका अर्थ किसी एक देश की अगुआई या प्राबल्य है।
(ख) इस शब्द का इस्तेमाल प्राचीन यूनान में एथेंस की प्रधानता को चिह्नित करने के लिए किया जाता था।
(ग) वर्चस्वशील देश की सैन्यशक्ति अजेय होती है।
(घ) वर्चस्व की स्थिति नियत होती है। जिसने एक बार वर्चस्व कायम कर लिया उसने हमेशा के लिए वर्चस्व कायम कर लिया।
उत्तर: (घ) 

2. समकालीन विश्व व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत हैं ?
(क) ऐसी कोई विश्व सरकार मौजूद नहीं जो देशों के व्यवहार पर अंकुश रख सके।
(ख) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमरीका की चलती है।
(ग) विभिन्न देश एक- दूसरे पर बल-प्रयोग कर रहे हैं।
(घ) जो देश अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं उन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ कठोर दंड देता है।
उत्तर: (क) 

3. ऑपरेशन इराकी स्वतंत्रता के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(क) इराक पर हमला करने के इच्छुक अमेरिकी अगुआई वाले गठबंधन में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए।
(ख) इराक पर हमले का कारण बताते हुए कहा गया कि यह हमला इराक को सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने के लिए किया जा रहा है।
(ग) इस कार्रवाई से पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ की अनुमति ले ली गई थी।
(घ) अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन को इराकी सेना से तगड़ी चुनौती नहीं मिली।
उत्तर: (ग) 

4. इस अभ्यास में वर्चस्व के तीन अर्थ बताए गए हैं। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण बतायें। ये उदाहरण इस अध्याय में बताए गए उदाहरणों से अलग होने चाहिए।
उत्तर: वर्चस्व का अर्थ है किसी एक शक्ति का दूसरे पर पूरी तरह से या अत्यधिक प्रभाव व नियंत्रण होना । इस अभ्यास में "वर्चस्व" का अर्थ एक ऐसी स्थिति से है, जहाँ कोई एक देश – विशेष रूप से अमेरिका जब प्रत्येक क्षेत्र ( अंतरराष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, और विचारधारा ) में इतना अधिक शक्तिशाली हो जाता है कि वह दूसरे देशों (कम शक्तिशाली) के निर्णयों, नीतियों और दिशा को निर्धारित कर सकता है
अभ्यास में बताए गए तीन प्रकार के वर्चस्व के निम्नलिखित हैं :-
(i) आर्थिक वर्चस्व-जब कोई देश वैश्विक अर्थव्यवस्था, व्यापार, वित्तीय संस्थानों आदि को नियंत्रित करता है। 
उदाहरण :- अमेरिकी डॉलर का वैश्विक मुद्रा के रूप में प्रयोग —दुनिया के ज्यादातर देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता है। 
(ii) सैनिक वर्चस्व -जब कोई शक्ति अपनी सैन्य शक्ति से दूसरों पर प्रभाव या नियंत्रण रखता है
उदाहरण :- नाटो (NATO) में अमेरिका की भूमिका - अधिकतर सैन्य संसाधन वही देता है। जब भी कोई अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभियान होता है (जैसे अफगानिस्तान में), अमेरिका उसका नेतृत्व करता है।
(iii) सांस्कृतिक वर्चस्व :-
जब कोई देश अपनी भाषा, जीवनशैली,  शिक्षा या मूल्यों से दूसरों को प्रभावित करता है।
उदाहरण :- अमेरिकी फैशन, अमेरिकी ब्रांड्स का विश्वव्यापी प्रभाव जो अमेरिका की संस्कृति को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।


5. उन तीन बातों का जिक्र करें जिससे साबित होता है कि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद अमरीकी प्रभुत्व का स्वभाव बदला है और शीतयुद्ध के वर्षों के अमरीकी प्रभुत्व की तुलना में यह अलग है।
उत्तर: शीतयुद्ध के बाद अमरीकी प्रभुत्व में बदलाव :- 
1. एकध्रुवीय विश्व का उदय : शीतयुद्ध के दौरान दुनिया द्विध्रुवीय विश्व (दो महाशक्तियाँ )में बटीं थी — अमेरिका और सोवियत संघ सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका अकेली महाशक्ति बनकर उभरा।
अब कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं बचा जिससे उसका प्रभुत्व पहले से अधिक व्यापक और प्रभावी हो गया।
2. विश्व के मामलों में दखल : शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका और USSR के बीच शक्ति संतुलन बना रहता था, जिससे कारण अमेरिका सीधे तौर से हस्तक्षेप करने में सक्षम नहीं था।
अब अमेरिका संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की अनुमति के बिना भी कार्रवाई करने लगा।
3. वैश्वीकरण में अमेरिका की भूमिका: शीतयुद्ध के बाद अमेरिका ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया।
उसने मुक्त व्यापार (Free Trade), उदारीकरण (Liberalisation) और निजीकरण की नीतिओं को प्रोत्साहित किया। अमेरिका अब आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व भी स्थापित करने लगा।

6. निम्नलिखित में मेल बैठायें:

स्तम्भ 1

स्तम्भ 2

(1) ऑपरेशन इनपफाइनाइट रीच

() तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग

(2) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम

() इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबंधन

(3) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म

() सूडान पर मिसाइल से हमला 

(4) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम

() प्रथम खाड़ी युद्ध 

उत्तर: (1)-(        (2)-(        (3)-()            (4)-()

7. अमरीकी वर्चस्व की राह में कौन-से व्यवधान हैं। आपके जानते इनमें से कौन-सा व्यवधान आगामी दिनों में सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा?
उत्तर: अमेरिका को वर्तमान समय में एकमात्र महाशक्ति कहा जाता है, विशेष रूप से शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद। लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका को अपने वर्चस्व को बनाए रखने में कई प्रकार की चुनौतियों तथा कई व्यवधानों का सामना करना पड़ता है। ये व्यवधान अमेरिका की शक्ति, उसकी छवि तथा उसके प्रभाव को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं।
वे व्यवधान निम्नलिखित रूप से इस प्रकार हैं :- 
1. संस्थागत बनावट :- सबसे पहला व्यवधान है अमेरिका की  संस्थागत बनावट जिसके अंतर्गत शासन के तीन अंगों के बीच शक्ति का बँटवारा है। ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जिसमें सरकार के तीन अंगों — कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका के बीच सशक्त शक्ति विभाजन है। 
2. आर्थिक प्रतिस्पर्धा:- अमेरिका की अर्थव्यवस्था अब एकछत्र नहीं रही है।
चीन, यूरोपीय संघ (EU) और भारत जैसे देश वैश्विक व्यापार, विनिर्माण और तकनीक के क्षेत्रों में अमेरिका को टक्कर दे रहे हैं।
3.आर्थिक प्रतिस्पर्धा :- भविष्य में अमेरिका के वर्चस्व को सबसे बड़ा चुनौती देने वाला तत्व साबित हो सकता है।
विशेष रूप से चीन की तेज़ आर्थिक वृद्धि और वैश्विक निवेश रणनीतियाँ (जैसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) अमेरिका को पीछे छोड़ने की क्षमता रखती हैं।
आर्थिक शक्ति ही आज के युग में सैन्य और राजनीतिक वर्चस्व का मूल आधार बनती जा रही है।
चीन का "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव" (BRI), विश्व बैंक की तरह AIIB की स्थापना, और अफ्रीका व एशिया में निवेश, अमेरिका के प्रभाव को कम कर रहे हैं
3. वैश्विक असंतोष:- अमेरिका की एकतरफा नीतियों और सैन्य हस्तक्षेप (जैसे इराक युद्ध) के कारण कई देशों में उसके प्रति असंतोष बढ़ा है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन ऐसा है जो संभवतः अमेरिका की शक्ति पर लगाम लगा सकता है और इस संगठन के अंतर्गत UNO जैसी अंतराष्ट्रीय संगठन शामिल हैं 

मेरे अनुसार, "आर्थिक प्रतिस्पर्धा" आने वाले समय में अमेरिका के वर्चस्व के लिए सबसे बड़ा व्यवधान साबित हो सकता हैं ।
क्यूँकि :- 
आर्थिक शक्ति ही तकनीकी, सैन्य और कूटनीतिक शक्ति का मूल आधार होती है।
1. चीन की जीडीपी तेजी से बढ़ रही है और वह कई देशों में अमेरिका से अधिक निवेश कर रहा है।
2. उभरती हुई महाशक्तियाँ :- चीन, भारत, रूस और यूरोपीय संघ जैसे देश वैश्विक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं जो अमेरिका की एकध्रुवीय सत्ता को चुनौती देते हैं और उसके वर्चस्व को कमज़ोर बनाते हैं।


8. भारत-अमरीका समझौते से संबंधित बहस के तीन अंग इस अध्याय में दिए गए हैं। इन्हें पढ़े और किसी एक अंश को आधार मानकर पूरा भाषण तैयार करें जिसमें भारत-अमरीकी संबंध के बारे में किसी एक रूख का समर्थन किया गया हो।
उत्तर: भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर तीन दृष्टिकोणों में बहस दी गई है।
1. समर्थक दृष्टिकोण 2. आलोचक दृष्टिकोण  3. मध्यम मार्ग
भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर तीन दृष्टिकोणों में बहस दी गई है।
1. समर्थक दृष्टिकोण 2. आलोचक दृष्टिकोण  3. मध्यम मार्ग
पहले दृष्टिकोण (भारत-अमेरिका समझौते के पूर्ण समर्थन में) के आधार पर भाषण :-
भाषण का विषय: भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का समर्थन
यह समझौता केवल एक परमाणु ऊर्जा समझौता नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक स्थिति, ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूती देने वाला ऐतिहासिक कदम है।
1. आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारी ऊर्जा ज़रूरतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। परमाणु ऊर्जा एक ऐसा विकल्प है, जो पर्यावरण के अनुकूल भी है और स्थायी विकास का मार्ग भी प्रशस्त करती है। अमेरिका के साथ यह समझौता भारत को परमाणु ऊर्जा उत्पादन की नई संभावनाएं प्रदान करता है।
2. भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को ठेस नहीं:
कुछ लोगों को यह आशंका थी कि इससे भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर असर पड़ेगा, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत ने अपनी परमाणु नीति, सुरक्षा सिद्धांत और रणनीतिक स्वायत्तता से कोई समझौता नहीं किया। भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता समानता और परस्पर सम्मान के सिद्धांत पर आधारित है।
3. आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को बढ़ावा:
अमेरिका के साथ यह सहयोग भारत को तकनीकी सहायता, उच्च गुणवत्ता वाली वैज्ञानिक रिसर्च, और आधुनिक परमाणु संयंत्रों तक पहुँच प्रदान करता है। इससे भारत में निवेश भी बढ़ेगा और हज़ारों रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
मेरे विचार में, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता भारत के राष्ट्रीय हित, ऊर्जा सुरक्षा, और वैश्विक प्रभाव के लिए अत्यंत आवश्यक और लाभकारी है। यह भारत की 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमें इसे केवल अमेरिकी प्रभाव के रूप में नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नीति निर्णय के रूप में देखना चाहिए।


9. “यदि बड़े और संसाधन संपन्न राज्य अमरीकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मानना अव्यावहारिक है कि अपेक्षाकृत छोटी और कमजोर राज्येत्तर संस्थाएँ अमरीकी वर्चस्व का कोई प्रतिरोध कर पाएंगी।” इस कथन की जाँच करें और अपनी राय बताएँ।
उत्तर: यह कथन आंशिक रूप से सत्य है, लेकिन संपूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि बड़े और संसाधन संपन्न राज्य अमेरिकी वर्चस्व का प्रतिकार करने में कई बार असफल रहे हैं, परंतु राज्येत्तर संस्थाएँ (जैसे NGO, मानवाधिकार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मीडिया, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, वैश्विक जनमत आदि) शक्तिहीन हैं इसने अमेरिका की गलत नीतियों का विरोध किया है। इसलिए यह मानना कि वे कोई प्रतिरोध नहीं कर पाएंगी, अव्यावहारिक होगा।
मेरी राय के अनुसार :-
राज्येत्तर संस्थाएँ, वैश्विक जनमत, और अंतरराष्ट्रीय संगठन अक्सर अमेरिकी नीतियों पर नैतिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दबाव बनाते हैं।
उनकी भूमिका सीमित हो सकती है, परंतु वे जागरूकता और प्रतिरोध की चिंगारी को जीवित रखती हैं।





📌 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

Q1. समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व क्या है?
Ans : अमेरिकी वर्चस्व (American Hegemony) वह स्थिति है जिसमें अमेरिका ने राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में वैश्विक प्रभाव स्थापित किया और अंतर्राष्ट्रीय नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

Q2. अमेरिकी वर्चस्व के प्रमुख कारण क्या हैं?
Ans : (i) शीत युद्ध में विजयी होना
(ii) मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्ति
(iii) वैश्विक संस्थाओं और संगठनों में नेतृत्व
(iv) तकनीकी और सांस्कृतिक प्रभाव

Q3. अमेरिकी वर्चस्व का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव क्या है?
Ans : अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, व्यापार और वैश्विक नीति में नेतृत्व करके दुनिया की आर्थिक और राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया।

Q4. बोर्ड परीक्षा के लिए कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
Ans : (i) अमेरिकी वर्चस्व की परिभाषा और कारण
(ii) शीत युद्ध और अमेरिकी नेतृत्व
(iii) वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पर अमेरिका का प्रभाव





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