कक्षा 12 राजनीति विज्ञान – अध्याय 4 : सत्ता के वैकल्पिक केंद्र NCERT Solutions हिंदी में
सत्ता के वैकल्पिक केंद्र (Alternative Centers of Power) आधुनिक भारत में राजनीतिक ढांचे और लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस अध्याय में यह समझाया गया है कि राजनीतिक शक्ति केवल केंद्र में नहीं, बल्कि राज्यों, राजनीतिक दलों, सामाजिक और आर्थिक संस्थाओं में भी वितरित होती है। यह प्रश्न-उत्तर Class 12 Board Exam की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए बेहद उपयोगी हैं। Political Science Class 12 के इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न यहाँ सटीक उत्तरों के साथ दिए गए हैं।"
1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें :-
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना
उत्तर: (ग) यूरोपीय संघ की स्थापना (घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना (ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना (क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
2. आसियान शैली क्या है
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर : (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
3. इनमें से किसने खुले द्वार की नीति अपनाई ?
(क) चीन
(ख) दक्षिण कोरिया
(ग) जापान
(घ) अमरीका
उत्तर : (क) चीन
4. खाली स्थान भरें:
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच ______ और _________ को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ______ और __________ करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में ___________ के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) _____________ योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) _____________ आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर : (क) अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र
(ख) आर्थिक विकास को तेज करना और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना
(ग) अमेरिका (घ) मार्शल (ङ) आसियान सुरक्षा समुदाय
5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या है?
उत्तर : क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के निम्नलिखित उद्देश्य है:-
1. क्षेत्रीय संगठनों का प्रमुख उद्देश्य संगठन में सम्मिलित देशों का कल्याण करना तथा उनके जीवन में गुणवत्ता लाना।
2. आर्थिक विकास , सामाजिक प्रगति एवमं सांस्कृतिक विकास लाना।
3. सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
4. अन्य देशों के साथ सहयोग करना तथा सुरक्षा पर बल देना है।
5. सभी क्षेत्रों (तकनीकी , वैज्ञानिक, आर्थिक आदि ) में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
6. सामूहिक विकास एवं एकता की भावना को मजबूत करना।
7. संगठन में सम्मिलित सदस्यों में आपसी व्यापार को बढ़ावा देना तथा आपसी विश्वास , सूझबूझ विकसित करना।
6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
उत्तर : भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है :-
1. इसमें संगठित देश एक दूसरे के निकट होने पर सरलता से एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
2. भौगोलिक निकलता एक दूसरे के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में सहायक सिद्ध होती है।
3. भौगोलिक निकटता के कारण ही एक देश दूसरे देश को आर्थिक, सामाजिक किसी भी तरह की सहायता कर सकते है।
4. यह आपसी भाईचारे, बंधुत्व एवं शांति की भावना को भी विकसित कर सकती हैं।
5. संगठन के कार्य नियमित तथा सकारात्मक हो सकते हैं कभी कभी संगठनों के बीच की दूरी संगठन के टूटने का भी कारण बन जाती है और यह निकटतम एकता सुरक्षा और अखंडता का भी विकास कर सकती है।
7. आसियान विजन -2020′ की मुख्य–मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर : आसियान -दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन हैं जो शांति, सुरक्षा, समृद्धि एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का कार्य करता है। आसियान का मुख्यालय जकार्ता में है।
कोरोना महामारी के चलते आसियान का 2020 का सम्मेलन जून 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुआ। इसके तहत मुख्य बातें निम्न प्रकार से हैं :-
1. आसियान विजन 2020 में अंतराष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गयी हैं।
2. हनोई कार्य योजना के तहत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण , व्यापारिक , उदारीकरण , वित्तीयसहयोग की वृद्धि के लिए उपाय निर्धारित किये गए हैं ।
3. आसियान विजन 2020 के तहत एक आसियान सुरक्षा समुदाय आर्थिक समुदाय तथा आसियान सामाजिक व सांस्कृतिक समुदाय बनाने की संकल्पना की गयी हैं।
8. आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
उत्तर : आसियान का पूर्ण रूप : दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन
(ASEAN :- Association of Southeast Asian Nations)
यह संगठन 1967 में पाँच देशों द्वारा स्थापित किया गया था।
थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और फिलीपींस तथा आज इसमें 10 सदस्य देश शामिल हैं।
आसियान समुदाय के तीन मुख्य स्तंभ एवं उनके कार्य निम्नलिखित प्रकार से हैं :-
1. आसियान आर्थिक समुदाय -
उद्देश्य:
(i) आर्थिक विकास को समान रूप से बढ़ावा देना एवं जीवन स्तर में सुधार लाना।
(ii) क्षेत्र को एकल बाजार और उत्पादन क्षेत्र में बदलना।
(iii) व्यापार एवं निवेश में उत्पन्न बाधाओं को हल करना
(iv) पूंजी व श्रम स्वतंत्र आवाजाही को प्रोत्साहन देना।
2. आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय -
उद्देश्य:
(i) क्षेत्र में शांति , सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना।
(ii) संघर्षों को बिना हिंसा के शांतिपूर्वक हल करना।
(iii) आतंकवाद एवं तस्करी जैसी गतिविधियों को रोकना तथा उनसे निपटना
(iv) सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और राजनीतिक सुरक्षा व सहयोग को बढ़ावा देना।
3. आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय -
उद्देश्य:
(i) क्षेत्रीय एकता को मजबूत करना।
(ii) महिलाओं और कमजोर वर्गों के उत्थान हेतु सहयोग को बढ़ावा देना।
(iii) गरीबी उन्मूलन, मानव संसाधन के विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना।
(iv) प्राकृतिक आपदाओं, पर्यावरणीय समस्याओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों एवं कोरोना जैसी महामारी से मिलकर निपटना।
9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर : 1. चीन ने अपने विकास के लिए आर्थिक एकांतवास को समाप्त किया।
2. 1973 में चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई नें कृषि , उद्योग सेना तथा वैज्ञानिक , प्रौद्योगिकी में विकास के प्रस्ताव रखा।
3. 1978 में देंग शियाओ पिंग में चीन में खुले द्वार की नीति को अपनाया।
4. 1882 में कृषि तथा उद्योगों का निजीकरण किया।
5. SEZ (स्पेशल इकनोमिक जोन) की स्थापना की।
चीन की नई आर्थिक नीति ने चीन की निम्नलिखित अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाया :-
1. कृषि और उद्योगों से चीन की नई अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।
2. कृषि के निजीकरण की वजह से किसानों की आई बढ़ी।
3. सन 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया।
4. विदेशी मुद्रा की मात्रा बढ़ी और चीन ने दूसरे देशों में निवेश करना शुरू किया।
5. चीन एशिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन गया।
6. विश्व में आर्थिक शक्ति बनकर उभरा तथा चीन ने बड़ी संख्या में विदेशी निवेशों को आकर्षित किया।
10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी पेरशानियाँ सुलझाई ? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोपीय देशों को भारी तबाही, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा। इन समस्याओं का समाधान करने और भविष्य में युद्ध को टालने के लिए उन्होंने आपसी सहयोग और एकीकरण का रास्ता चुना। यही प्रक्रिया आगे चलकर "यूरोपीय संघ की स्थापना का आधार बनी।
1. आर्थिक सहयोग की शुरुआत (1951):
यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय (ECSC) की स्थापना की गई जिसमें 6 देश शामिल थे -फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्समबर्ग। इसका उद्देश्य कोयले और इस्पात के उत्पादन को एक साझा नियंत्रण में लाना था ताकि भविष्य में युद्ध की संभावना कम हो।
2. यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) - 1957:
रोम संधि के तहत EEC की स्थापना हुई। इसका उद्देश्य एक साझा बाजार बनाना, व्यापार में रुकावटें हटाना और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था।
3. राजनीतिक सहयोग की दिशा में कदम:
सदस्य देशों ने विदेश नीति, सुरक्षा और प्रशासनिक मामलों में भी सहयोग शुरू किया।
4. मास्ट्रिख्ट संधि:-
इस संधि ने 1993 में यूरोपीय संघ की नींव रखी।
मास्ट्रिख्ट संधि के तहत EEC को एक नए रूप में संगठित किया गया और इसका नाम "यूरोपीय संघ" रखा गया। यह केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में भी एकीकरण की दिशा में बड़ा कदम था।
5. साझा मुद्रा - यूरो :
1999 में यूरो को एक साझा मुद्रा के रूप में अपनाया गया (कुछ देशों द्वारा)।
जिससे आर्थिक लेन-देन में सहूलियत हुई और आर्थिक एकता और मजबूत हुई।
11. क्या चीजें यूरोपीय संघ को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती है?
उत्तर : यूरोपीय संघ केवल एक सामान्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन नहीं है, बल्कि यह यूरोप के एक प्रभावशाली और संगठित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। इसे प्रभावी बनाने वाले कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
(i) यूरोपीय संघ की सांझी मुद्रा , स्थापना दिवस , गान तथा झंडा है।
यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश "यूरो" का उपयोग करते हैं।
(ii) यूरोपीय संघ का आर्थिक , सैनिक और कूटनीतिक प्रभाव बहुत अधिक है क्योंकि इसमें शामिल लगभग सभी देश विकसित हैं यूरोपीय संघ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में (ब्रिटेन और फ्रांस के माध्यम से) स्थायी उपस्थिति रखता है। EU ने साझा विदेश और सुरक्षा नीति (CFSP) बनाई है।
(iii) यूरोपीय संघ आर्थिक और सांस्कृतिक मामलों में भी दखल देने में सक्षम है। यूरोपीय संघ विश्व की एक बड़ी आर्थिक शक्ति है। इसका साझा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अमेरिका से भी अधिक है। यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करता है।
(iv) 2012 में यूरोपीय संघ को शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। यूरोपीय संघ के दो सदस्य देश ब्रिटेन तथा फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
12. चीन और भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्था में एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौति दे सकने की क्षमता है। क्या आप कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों की पुष्टि करें।
उत्तर : एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था :- यह वह स्थिति है जब दुनिया की शक्ति केवल किसी एक देश के पास केंद्रित होती है – जैसे कि शीत युद्ध के बाद अमेरिका का प्रभुत्व।
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि चीन और भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती देने की क्षमता है क्यूँकि :-
(i) आर्थिक विकास दर में वृद्धि:
भारत और चीन दोनों की GDP वृद्धि दर अमेरिका से कहीं अधिक रही है। यह इन्हें वैश्विक निर्णयों में अधिक प्रभावशाली बनाती है। चीन आज दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और "विश्व की फैक्ट्री" कहा जाता है और वही दूसरी ओर भारत सेवा क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप इनोवेशन में तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
(ii) विकासशील देशों का नेतृत्व:
भारत और चीन विकासशील देशों की आवाज़ को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करते हैं, जिससे उन देशों के इन्हे सहयोग प्राप्त होता हैं ।
(iii) वैश्विक मंच पर भागीदारी:
दोनों देश G-20, BRICS, SCO, और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में प्रभावशाली सदस्य हैं।
(iv) बहुध्रुवीय विश्व का निर्माण:
भारत, चीन, यूरोपीय संघ, रूस जैसी शक्तियों का उभार बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर संकेत करता है जहाँ केवल अमेरिका का वर्चस्व नहीं रह जाता।
13. मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर : हाँ , कथन सही है और आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक भी है। क्षेत्रीय आर्थिक संगठन देशों के बीच सहयोग, व्यापार और शांति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नीचे दिए गए तर्क इस कथन की स्पष्ट रूप से पुष्टि करते हैं:
1. आर्थिक सहयोग से शांति:-
जब क्षेत्रीय देश आपस में आर्थिक रूप से जुड़े होते हैं, तो उनके बीच संघर्ष की संभावना कम हो जाती है।
उदाहरण: यूरोपीय देशों द्वारा आर्थिक एकीकरण को अपनाना इससे उनमें आपसी निर्भरता बढ़ी और युद्ध की संभावनाएँ घटीं।
2. विकासशील देशों की प्रगति में सहयोग :-
क्षेत्रीय संगठन छोटे और विकासशील देशों को मिलकर के व्यापार करने , तकनीक और संसाधनों का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करते हैं।
उदाहरण: आसियान (ASEAN) ने दक्षिण-पूर्व एशिया में तेज़ आर्थिक विकास को संभव बनाया।
3. साझा समस्याओं का समाधान :-
क्षेत्रीय संगठन साझा समस्याओं जैसे गरीबी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद आदि से मिलकर निपटने में मदद करते हैं। इससे न केवल आर्थिक स्थिरता बढ़ती है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता भी बढ़ती है।
उदाहरण : कोरोना वायरस से निपटान।
5. आपसी निर्भरता :-
जब देश आर्थिक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, तो युद्ध या संघर्ष से उन्हें भी हानि होती है, इसलिए वे आपसी सम्मेलनों व बैठकों द्वारा संवाद और समझौते को प्राथमिकता देते हैं।
13. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है? अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर : भारत और चीन के बीच संबंधों में सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों के तत्व मौजूद हैं। हालाँकि, कई विवाद ऐसे हैं जो दोनों के मध्य तनाव का कारण बनते हैं।
1. सीमा विवाद :
दोनों देशों के मध्य सबसे गंभीर विवाद सीमाओं को लेकर हैं जिसके अंतर्गत अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश , चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) , वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) तथा गलवान घाटी के क्षेत्र शामिल हैं:
(i) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) :- दोनों देशों के बीच इसको लेकर अलग-अलग व्याख्याएँ हैं, जिससे अक्सर सैन्य झड़पें होती हैं।
(ii) चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC): यह गलियारा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिस पर भारत आपत्ति करता है।
(iii) अरुणाचल प्रदेश: चीन अरुणाचल प्रदेश को भी दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है.
2. जल विवाद:
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बांध निर्माण से भारत को चिंता है, क्योंकि इसका असर पूर्वोत्तर भारत पर पड़ सकता है।
3. रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तथा व्यापार असंतुलन:
भारत ‘क्वाड’ (Quad) जैसे संगठनों में भाग लेता है, जिससे चीन को संदेह होता है।
वहीं चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) में भारत की भागीदारी नहीं है।
भारत को चीन के साथ बड़े व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है, जो आर्थिक निर्भरता का कारण बनता है यह स्थिति भारत को भू-राजनीतिक रूप से कमजोर बनाती है।
📌 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – समकालीन दक्षिण एशिया
Q1. सत्ता के वैकल्पिक केंद्र क्या हैं?
Ans : सत्ता के वैकल्पिक केंद्र (Alternative Centers of Power) वे संस्थाएँ और समूह हैं जो केंद्र सरकार के अलावा राजनीतिक शक्ति और निर्णय प्रक्रिया में प्रभाव डालते हैं, जैसे राज्य सरकारें, राजनीतिक दल, सामाजिक और आर्थिक संगठन।
Q2. राज्य सरकारें सत्ता के वैकल्पिक केंद्र क्यों मानी जाती हैं?
Ans : भारत का संघीय ढांचा राज्यों को सत्ता, वित्त और प्रशासनिक अधिकार देता है, जिससे राज्य सरकारें केंद्र के अलावा शक्ति का वैकल्पिक केंद्र बन जाती हैं।
Q3. राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं की भूमिका क्या है?
Ans : राजनीतिक दल नीति निर्माण और निर्णय प्रक्रिया में प्रभाव डालते हैं। सामाजिक संस्थाएँ और Pressure Groups जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने में मदद करती हैं।
Q4. बोर्ड परीक्षा के लिए कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
Ans : सत्ता के वैकल्पिक केंद्र की परिभाषा और महत्व
राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं की भूमिका
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शक्ति का वितरण
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