Class 12 Political Science Important Questions and Answers in Hindi | बोर्ड परीक्षा 2025 के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अगर आप कक्षा 12 राजनीति विज्ञान (Political Science) की CBSE बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद उपयोगी है। यहां हम लेकर आए हैं Class 12 Political Science के सभी अध्यायों चुने गए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर (important questions with answers), जो बोर्ड परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं। ये प्रश्न NCERT syllabus और पिछले वर्षों के पेपर्स पर आधारित हैं, जिससे आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सके।
1. क्यूबा के मिसाइल संकट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : क्यूबा अमेरिका से सटा हुआ एक द्वीपीय देश है जहा पर साम्यवादी
शासन किया करते थे।सोवियत संघ क्यूबा को कुटनयिक तथा वित्तीय सहायता दिया करता था। सोवियत संघ को डर था कहीं अमेरिका क्यूबा पर अपना अधिकार
ना कर ले इसलिए सोवियत सैनिक अड्डे के रूप मे बदलने का निर्णय किया और 1962 मे वहां
ख्रुश्चेव ने क्यूबा मे परमIणु मिसाइलें तैनात कर दी और इस प्रकार हथियारों की तैनाती
से पहली बार अमेरिका नजदीकी निशाने की सीमा मे आ गया। हथियारों की तैनाती से अमेरिका के मुख्य भू -भाग के लगभग दो गुने ठिकाने पर हमला बोल सकता था। हथियारों की तैनाती का पता अमेरिका को तीन हफ्ते बाद लगा।
2. शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : शीतयुद्ध का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुआ। शीतयुद्ध कोई वास्तविक युद्ध नहीं था शीतयुद्ध वास्तव मे एक वर्चस्व की लड़ाई हैं जो अमेरिका और सोवियत संघ के बीच काफी लम्बे समय तक चली। यह कोई वास्तविक युद्ध नहीं था लेकिन इस दोरान एक ऐसी स्थिति पैदा हो गयी थी जो कभी भी युद्ध का रूप ले सकती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समापन के बाद ही विश्व दो गुटों मे बंट गया पहले खेमे मे सोवियत संघ तथा उसके साथी देश और दूसरे खेमे मे अमेरिका तथा उसके साथी देश कई बार इन दोनों देशों में महाशक्तियों के संपर्क देशों के बीच आपसी रक्तरंजित युद्ध हुआ।लेकिन फिर भी विश्व तीसरे विश्वयुद्ध से बचा रहा। शीतयुद्ध के दौरान दोनों गुट अपने -अपने सैन्य परमाणु शक्ति को बढ़ाने में लगे रहें।शीतयुद्ध को वर्चस्व की लड़ाई भी कहा जाता हैं क्यूंकि दोनों ही देश अपने सैन्य तथा परमाणु शक्ति के आधार पर विश्व पर राज करना चाहते थें।
3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : गुटनिरपेक्ष शाब्दिक अर्थ हैं किसी भी गट से अपनी तटस्था या दुरी बनाये रखना।
(i) विश्व राजनीती में गुटनिरपेक्षता का अर्थ उस परिस्थिति से देखा जाता हैं जब कई देशों मे अमेरिका और सोवियत संघ ने एक खेमे मे जाने से खुद को रोका I इस विचारधारा को गुटनिरपेक्ष आंदोलन ककहा गया।
(ii) गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत युगोस्लाविया जोसेफ ब्रॉज टीटो , भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू , मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर , इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा घाना के वामे एन्क्रूमा द्वारा की गयी।
(iii) पहला गुटनिरपेक्ष आंदोलन सम्मेलन वर्ष 1961 में बेलग्रेड में हुआ जिसमे पच्चीस देशों नें भाग लिया
(iv) इस सम्मेलन में मुख्य तीन बातों का ध्यान दिया गया :-
1. इन पांचों देशों के बीच आपसी सहयोग।
2. शीतयुद्ध के प्रसार को कम करना।
3. अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से नव -स्वतंत्रीय अफ़्रीकी देशों का उदय हुआ।
4. दो ध्रुवीय विश्व से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : द्वितीय विश्वयुद्ध वर्ष 1939 -1945 तक चला और अमेरिका द्वारा जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया। लेकिन विश्व में कई देशों के मध्य आपसी रक्त -रंजित एवं प्रतिद्वंदिता समाप्त नहीं हुई थीं। सम्पूर्ण विश्व पर अपना प्रभाव बढ़ाने हेतु और स्वयं को एक शक्तिशाली राष्ट्र दिखाने के लिए अमेरिका ने जापान पर परमाणु बेम गिराये सोवियत संघ ने भी खुद को एक महाशक्तिशाली एवं महाशक्ति घोषित करने के लिए सैन्य शक्ति एवं परमाणु हथियारों का विकास करना प्रारम्भ कर दिया। अब अमेरिका और सोवियत संघ ही ऐसे दो देश बचे थे जो किसी भी देश को आर्थिक , राजनितिक तथा सैन्य शक्ति के आधार पर मात दे सकते थें। इन दो देशों के बराबर न ही तो कोई विकसित था और न ही इसके गुटों से कोई युद्ध कर सकता था और इस प्रकार पूरा विश्व अमेरिका और सोवियत संघ दो गुटों में बंट गया इसे ही दो ध्रुवीयता का आरम्भ कहा जाता हैं।
5. तटस्थता तथा गुटनिरपेक्षता में क्या अंतर हैं ?
उत्तर : तटस्थता तथा गुटनिरपेक्षता में अंतर :
1. तटस्थता युद्ध जैसी परिस्थितियों से सम्बन्धित हैं। जबकि गुटनिरपेक्षता युद्ध व शांति दोनों से सम्बंधित हैं।
2. तटस्थता एक नकारात्मक धारणा हैं जो किसी पक्ष की ओर से युद्ध मे भाग लेने से रोकती हैँ और साथ ही किसी देश को दूसरे देश से किसी भी प्रकार से लाभ प्राप्त करने , व्यापार करने और संबंध रखने से रोकती है।
3. गुटनिरपेक्षता किसी देश को अन्य देश के साथ यह की त्यागकर शांति की स्थिति बनाये रखने पर प्रेरित करती हैं और आवश्यकता पड़ने पर उसके साथ व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।
6. गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की क्या भूमिका है ?
उत्तर : गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका :
1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन को भारत का प्रोत्साहन मिला तथा भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
2. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवरहरलाल नेहरू जी ने घाना के वामे एन्क्रूमा , इंडोनेशिया के सुकर्णो , मिस्र के गमल अब्दुल नासिर , युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रॉज टीटो आदि देश के नेताओं के साथ मिलकर 1961 में पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन बेलग्रेड में किया।
3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन का दूसरा सम्मेलन 1964 क़ाहिरा में प्रधानमंत्री लाल बहादुरशास्त्री जी ने विश्व शांति के उदेश्य के लिए किया जिसमें 05 प्रस्ताव रखे गए :-
(i) सीमविवादों को शांतिपूर्ण एवं विवेक ढंग से सुलझाने हेतु।
(ii) अणु शस्त्रों के निर्माण एवं प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने`हेतु।
(iii) अध्यक्ष के रूप में भारत ने पूर्ण निः शस्त्रीकरण के लिए UNO में एक प्रस्ताव पेश किया।
(iv) UNO का समर्थन करने में बल दिया आदि।
गुटनिरपेक्ष सम्मेलन
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साल
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सम्मेलन
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स्थान (देश)
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टिप्पणी
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1956
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-
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न्यूयॉर्क
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पहली
बैठक 05 राष्ट्राध्यक्ष
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1961
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1st
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बेलग्रेड
(यूगोस्लाविया)
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25
देश
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1964
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2st
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काहिरा
(मिस्र)
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1983
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7rd
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दिल्ली
(भारत)
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2006
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14th
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हवाना
(क्यूबा)
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116
देश , 15 पर्यवेक्षक देश
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2016
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17th
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पॉर्लामार
(वेनेजुएला)
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2019
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18th
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बाकू
(अज़रबैजान)
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125
देश , 25 पर्यवेक्षक देश
|
7. गुटनिरपेक्षता को अपनाने की भारत की क्या महत्वाकांक्षा थी ?
उत्तर : भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को इस आधार पर अपनाया था कि भारत स्वयं की नीतियां बनाना चाहता था।
1 . आर्थिक पुनर्निर्माण :- स्वतंत्रता के बाद अपना आर्थिक विकास करने की चुनौती भारत के लिए सबसे बड़ी सबसे बड़ी चुनौती थी, क्योकि भारत को आज़ादी अंग्रेज़ो से लगभग 200 वर्षों के पश्चात् मिली और उन्होंने भारत का खूब शोषण किया। जिसके परिणामस्वरूप अकाल तथा खाद्य पदार्थ जैसी समस्याएँ आम थीं। जिसके चलते भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी। जिस कारण वह वह किसी भी गुट में शामिल होने के लिए बिलकुल भी राजी नहीं थे और नाही वह किसी गुट में शामिल होकर या किसी युद्ध का हिस्सा बनकर इसे और ख़राब नहीं करना चाहता था।
2. स्वतंत्रता को बनाये रखना :- भारत को आज़ादी २०० वर्षो पश्चात् मिली थी जिसे वह किसी गुट में शामिल होकर खोना नहीं चाहता था।
3. भारत की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए :- भारत को अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए गुटनिरपेक्ष नीति का समर्थन करना आवश्यक था। यदि भारत स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय लेता है तो दोनों गुट उसके विचारों का समर्थन करते हैं।
4. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति बनाये रखना :- भारत किसी भी गुट का समर्थन करके युद्ध की संभावनाओं को बढ़ाने के पक्ष में नहीं था और भारत को यह बात पता थी कि युद्ध जैसी स्थिति को रोकना है तो दोनों गुटों से अलग रहकर अपनी नीति तथा परामर्श दिया जा सकता हैं इसलिए भारत ने गुटनिरपेक्ष को अपनाया।
5. भारत गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर दोनों गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त करना चाहता था।
8. गोर्बाचेव को सोवियत संघ में सुधार लाने के लिए बाध्य करने वाले छः कारकों की व्याख्या कीजिए ?
उत्तर : गोर्बाचेव को सोवियत संघ में सुधार लाने के लिए बाध्य करने वाले कारक निम्नलिखित हैं :-
1. सोवियत संघ पर धीरे धीरे नौकरशाही नौकरशाही का प्रभाव बढ़ता गया और पूरी व्यवस्था नौकरशाही के शिकंजे में कस्ती चले गई। इससे सोवियत प्रणाली सत्तावादी हो गई और लोगों का जीवन कठिन होता चला गया
2. सोवियत संघ में लोकतंत्र तथा विचारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थीं इसी कारण इसमें सुधार की आवश्यकता थीं।
3. सोवियत संघ में एकमात्र दल साम्यवादी दल का प्रभुत्व था। ये दल किसी के प्रति उत्तरदाई नहीं था सोवियत संघ लगभग 15 गढ़राज्यों का समूह था। जिसमे सोवियत संघ रूस का प्रभुत्व तथा सभी प्रकार के आवश्यक निर्णेय रूस द्वारा लिए जाते थें। जिससे अन्य देश स्वयं को असुरक्षित और अपमानित महसूस करते थें।
4. सोवियत संघ ने समय समय पर अत्यधुनिक खतरनाक हथियार बनाकर अमेरिका की बराबरी करनी शुरू का दी। जिसके कारण सोवियत संघ को उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी और शस्त्रीकरण के क्षेत्र में अत्याधिक धन खर्च करने से सोवियत संघ का बुनियादी ढांचा डगमगा गया और इस कारण यहाँ बदलाव की आवश्यकता थीं।
5. सोवियत संघ राजनितिक तथा आर्थिक तौर पर अपने नागरिकों के सम्पदा तरह सफल नही हो पाई।
6. 1979 में अफगानिस्तान में सैनिक हस्तक्षेप के कारण सोवियत संघ की स्थिति और कमजोर हो गई।
9. सोवियत प्रणाली क्या थी ? किन्ही तीन विशेताओं को लिखिए।
उत्तर : सोवियत प्रणाली समाजवादी व्यवस्था एवं समतामूलक समाज के आदर्शों पर आधारित थी
विशेषताएं :-
1. यह प्रणाली किसी भी प्रकार की पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध करती थी।
2. देश के सभी प्राकृतिक एवं निजी संसाधनों पर समाज के सभी व्यक्तियों का अधिकार हो , इस पक्ष की समर्थन करती थी।
3. सोवियत प्रणाली में कम्युनिस्ट पार्टी को अधिक महत्व प्राप्त दिया गया था।
10. सोवियत संघ के विघटन के किन्ही छः कारणों का वर्णन कीजिये।
उत्तर : सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:-
1. सोवियत संघ आर्थिक और राजनीतिक तौर पर कमजोर हो चुका था क्योंकि वहां की सत्ता अब राजनीतिक से हटकर नौकरशाही पर जा रही थी।
2. साथ ही शास्त्रीकरण को बढ़ावा देने के कारण सोवियत संघ ने अत्यधिक हथियार बनाने की होड़ में काफी धन खर्च किया जिससे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई।
3 . मिखाइल गोर्बाचोव ने सोवियत संघ में सुधार करने के प्रयास किये परंतु उनके द्वारा किए गए सभी प्रयास असफल हुए।
4 . सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन लगभग 70 वर्षों तक रहा और यह पार्टी किसी के प्रति भी उत्तरदाई नहीं थी और लोगों का इस पार्टी के काल में बहुत दयनीय हाल हो गया। अब लोग इस पार्टी से छुटकारा पाना चाहते थे।
5 . सोवियत संघ ने समय-समय पर हथियार मिसाइल बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। अत्यधिक खर्चों के कारण सोवियत संघ का बुनियादी ढांचा बिगड़ने लगा सोवियत संघ कुछ राजनीतिक एवं आर्थिक तौर पर अपने नागरिकों के समक्ष पूरी तरह सफल नहीं हुआ।
6 . 1979 में अफगानिस्तान में सैनिक अस्पताल के कारण सोवियत संघ और कमजोर पड़ गया।
11. सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर : सोवियत संघ के निम्नलिखित परिणाम हुए :-
1. सोवियत संघ के विघटन के कारण शीत युद्ध समाप्त हो गया और हथियारों की होड़ भी समाप्त हो गई।
2. सोवियत संघ के विघटन के कारण सैनिक गुटों का भी अंत हुआ विभिन्न देशों के बीच आर्थिक तनाव में कमी आई।
3. सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ के समर्थक कई देश स्वतंत्र हो गए और लंबे समय के बाद उन्हें पुरानी विचारधारा से मुक्ति मिली।
4. सोवियत संघ के विघटन से शक्ति संबंध में परिवर्तन आया सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका और भी आर्थिक शक्तिशाली हो गया और विश्व स्तर पर उसका नियंत्रण और अधिक बढ़ गया।
5. सोवियत संघ के विघटन से विभिन्न देशों में चल रही है आपसी संघर्ष की स्थिति भी लगभग समाप्त हो गई लेकिन इसके साथ ही कई नव स्वतंत्र देश में सीमाओं को लेकर विवाद हुआ और येही चेचन्या और दागिस्तान में आपसी गृह युद्ध होने लगे।
6. अब विश्व में केवल अकेली महाशक्ति बची अमेरिका।
7. बर्लिन की दीवार गिरते ही दो ध्रुवीय विश्व का अंत हो गया।
12. सोवियत संघ में सुधार हेतु गोर्बाचेव की नीतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : मिखाइल गोर्बाचेव 1985 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने। गोर्बाचेव सोवियत संघ को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और समाज में लोकतांत्रिक सुधार लाना चाहते थे। सोवियत संघ की कमजोर अर्थव्यवस्था को देखते हुए उन्होंने दो मुख्य नीतियाँ शुरू की :
1. ग्लासनोस्त- खुलापन
(i) सरकार और समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई।
(ii) जनता और मीडिया को सरकार की आलोचना करने की छूट मिली।
(iii) सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाई गई।
2. पेरेस्त्रोइका - पुनर्निर्माण
(i) अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बाजार की कुछ शक्तियाँ लागू की गईं।
(ii) निजी उद्योगों को बढ़ावा दिया गया।
(iii) केंद्र की शक्ति को घटाकर स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की आज़ादी दी गई।
परिणाम: गोर्बाचेव की नीतियों से लोगों को आज़ादी तो मिली, लेकिन इससे सोवियत संघ में अस्थिरता बढ़ गई। अंत में, 1991 में सोवियत संघ विभाजित होकर टूट गया।
13. चीन ने अपने विकास के लिए किन नीतियों का उपयोग किया? चीन के नई आर्थिक नीति ने किन अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाया।
उत्तर : चीन में अपने विकास के लिए निम्नलिखित नीतियों का उपयोग किया :
(i) चीन ने 1972 में संयुक्त राज्य अमेरिका से संबंध स्थापित करके राजनीतिक और आर्थिक एकांतवास को समाप्त किया।
(ii) 1973 में चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेना तथा वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी में विकास का प्रस्ताव रखा।
(iii) 1978 में देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारो और खुले द्वार की नीति अपनाई चीन ने शॉक थेरेपी को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को खोल और यही नहीं सन 1882 में कृषि का निजीकरण और उद्योगों का निजीकरण किया।
SEZ (Special Economic Zone) - की स्थापना की गई।
चीन की नई आर्थिक नीति द्वारा अर्थव्यवस्था को लाभ :
(i) कृषि और उद्योगों से चीन की नई अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।
(ii) कृषि के निजीकरण की वजह से किसानों की आय बढ़ी।
(iii) चीन सन 2001 में विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया।
(iv) विदेशी मुद्रा की मात्रा बढ़ी और चीन ने दूसरे देशों में निवेश करना शुरू किया।
(v) चीन एशिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन गया।
(vi) चीन विश्व में आर्थिक शक्ति बनकर उभरा।
(vii) चीन ने बड़ी संख्या में विदेशी निवेशों को आकर्षित किया।
14. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के समक्ष आने वाली तीन प्रमुख चुनौतियां कौन-कौन सी है?उत्तर : स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के समक्ष आने वाली निम्नलिखित तीन चुनौतियों मुख्य प्रकार से हैं:
(i) राष्ट्रीय एकता व अखंडता :- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौती भारत की एकता और अखंडता को लेकर थी की भारत को एकता के सूत्र में कैसे बांधे रख सके क्यूंकि भारत विभिन्नताओं वाला देश है। जहां विभिन्न जाति धर्म भाषा आदि को मानने वाले लोग रहते थे। देश के इतने बड़े क्षेत्रफल पर कई भाषा बोलने वाले लोग रहते थे इन सभी को एकता की सूत्र में कैसे बांध रखा जाए यह सबसे बड़ी चुनौती थी।
(ii) लोकतंत्र कायम करना : दूसरी चुनौती में लोकतंत्र को कायम रखना था। भारतीय संविधान निर्माता को एक ऐसे संविधान को बनाना था जो सभी के लिए न्याय संगत हो और जो इन विविधता भरे देश में लोगों के बीच एक सामान्य कायम कर सके।
(iii) आर्थिक विकास करना : तीसरी चुनौती भारत के समक्ष आर्थिक विकास को लेखक थी क्योंकि अंग्रेजों ने भारत का काफी शोषण किया। जिससे इसकी आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई और समय-समय पर बाढ़ तथा अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था को और भी तोड़ कर रख दिया। विकास के अंतर्गत संविधान में ऐसी धारणाओं को मान्यता प्रदान की गई जिससे समाज के प्रत्येक व्यक्ति का विकास हो सके। भले ही वह किसी भी धर्म जाति अथवा लिंग के आधार पर भिन्न हो।
15. साम्प्रदायिकता को स्पष्ट करते हुए भारत में फैली साम्प्रदायिकता के दो उदाहरण दें।
उत्तर : यह एक विचारधारा है जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति अपने धर्म को बढ़ावा देता है और दूसरे के धर्म को नीचा दिखाता है। सांप्रदायिकता में धर्म के आधार पर व्यक्तियों के बीच भेदभाव की भावना को देखा जाता है। सांप्रदायिकता में अपने धर्म को व्यक्ति प्रचार प्रसार और उसे विकसित करने पर ध्यान देता हैऔर अन्य धर्म को दबाने की कोशिश करता है।
भारत में पहली सांप्रदायिकता के उदाहरण :
हिंदू और मुस्लिम विवाद : सांप्रदायिकता का एक सबसे बड़ा उदाहरण है जिसमें दोनों धर्म अपने धर्म को बढ़ावा देने और प्रचार प्रसार करने के लिए बढ़ावा देते हैं और अपने विपरीत धर्म को प्रचार प्रसार करने से रोकते हैं कई बार अपने आस पड़ोस में ऐसी घटनाएं देखी होगी जिसमें मुस्लिम और हिंदुओं द्वारा धार्मिक पूजा-पाठ पर विरोध करते हुए दिखाई देंगे।
स्वरण एवं दलित : स्वरण को कई बार दलित का शोषण करते हुए या उनका अपमान करते हुए या फिर उनके साथ भेदभाव करते हुए देखा है। यह भी सांप्रदायिकता का एक रूप है जहां धर्म जाति के आधार पर राजनीतिक दल बना लिए जाते हैं और उनमें अपनी जाति या कल के लोगों के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है जैसे बीएसपी द्वारा दलितों का शोषण।
16. 1947 में भारत के विभाजन के तुरंत बाद रजवाड़ों के प्रति भारतीय सरकार का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर : 1945 में भारत विभाजन के तुरंत बाद रजवाड़ों के प्रति सरकार ने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्हें भारत में शामिल किया रजवाड़ों की समस्या को हल करने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 27 जून 1947 को एक विभाग की स्थापना की जिसे राज्य विभाग का नाम दिया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस विभाग का मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी मेनन को इसका सचिव नियुक्त किया देसी रियासतों का भारत में विलय तीन चरणों के अंतर्गत किया गया :
(i) एकीकरण (ii) अधिवेशन (iii) प्रजातंत्रीकरण
एकीकरण :
एकीकरण के अंतर्गत वह देशी रियासतें आती है जिन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के परामर्श से स्वयं ही भारत में विलय होना स्वीकार किया। अधिकांश देशी रियासतें इसी आधार पर भारत में शामिल हो गई।
अधिविलन : इसके अंतर्गत वह देशी रियासतें आती थी जो अपनी स्वेछा से भारत में शामिल होना नहीं चाहती थी। इन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल की सूझबूझ से सैनिक कार्यवाही रणनीति कौशल द्वारा शामिल किया गया जैसे हैदराबाद और जूनागढ़।
प्रजातंत्रीकरण : भारत में रियासतों को प्रजातंत्रीकरण ढांचे में ढालना भारत सरकार के लिए एक प्रमुख समस्या थी। इस समस्या के प्रति प्रांतों में प्रजातंत्री और प्रतिनिधिक संस्थाओं की स्थापना की गई और रियासतों को भारत में मिलाया गया।
17. भारत के गठबंधन की सरकार में तीन पक्ष और तीन विपक्ष में उत्तर दीजिए।
गठबंधन के पक्ष में तर्क :
उत्तर : (i) गठबंधन सरकार ने सभी दलों और विचारधाराओं के लोग शामिल हैं जिससे लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है।
(ii) गठबंधन सरकार शासन व्यवस्था में दो या दो से अधिक विचारधाराओं के लोगो द्वारा अपनी-अपनी सूझबूझ के आधार पर जनता एवं राष्ट्र की सेवा में सहभागी बनते हैं और विकास परियोजना को आगे बढ़ते हैं।
(iii) कभी-कभी देखा गया है कि बहुमत वाली सरकार अपनी नीतियों के आधार पर कुछ ऐसे कानून और नीतियों को बनती है जो किसी विशेष वर्ग के लिए ही लाभदायक होते हैं लेकिन गठबंधन वाली सरकार में ऐसी संभावनाएं कम होती हैं।
विपक्ष में तर्क :
(i) गठबंधन वाली सरकार स्थाई ना होकर अस्थाई होती है। इन सरकारों का कई बार छोटे-छोटे मुद्दों पर आपसी विवाद होकर इनका गठबंधन टूट जाता है और संवैधानिकतंत्र विफल हो जाता है जैसे : 1991 में बीजेपी सरकार का गठबंधन टूट गया।
(ii) गठबंधन के सरकारों में अपने-अपने क्षेत्र के विकास को लेकर आपसी होड़ के कारण क्षेत्रवाद की भावना को बढ़ावा मिलता है।
(iii) गठबंधन वाली सरकार में दलों के आपसी दबाव में कभी-कभी ऐसे लोगों को भी मौका मिलता है जो इसके लायक नहीं होते।
18. भारत की राजनीति में दलबदल से आप क्या समझते हैं तथा इसके अवगुण क्या है?
उत्तर : साधारण तौर पर दलबदल का मतलब किसी नेता या पार्टी का एक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल होना। दलबदल का अर्थ राजनीति निष्ठा का परिवर्तन भी माना जाता है। इसमें कई बार नेता अपने किसी व्यक्तित्व स्वार्थ को पूरा करने के लिए एक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं इसे दल बदल कहते हैं।
अवगुण :
(i) दल बदल के कारण राजनीतिक व्यवस्था में अस्थिरता फैलती है।
(ii) दल बदल के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
(iii) दलबदल जनता की भावना को ठेस पहुँचाता है और जिससे जनता का विश्वास टूटता हैं।
19. ताड़ी आंदोलन से आप क्या समझते हैं तथा इसके क्या मुद्दे रहे ?
उत्तर : ताड़ी आंदोलन एक महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलन था। यह मुख्य रूप से शराबबंदी और सामाजिक न्याय से जुड़ा हुआ था। जिसके अन्तर्गत आंध्र प्रदेश में महिलाओं द्वारा शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए उठाया गया था। आंध्र प्रदेश में शराब की बिक्री के कारण पुरुषों की शारीरिक और मानसिक स्थिति खराब होने के से महिलाओं पर अत्याचार बढ़ता जा रहा था जिसके चलते वही की स्थानीय महिलाओं ने शराब बिक्री के विरुद्ध ताड़ी आंदोलन शुरू किया।
इसके मुख्य मुद्दे निम्न प्रकार से हैं :
(i) पुरुषों का शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होना।
(ii) ग्रामीण अर्थव्यवस्था का प्रभावित होना।
(iii) शराबखोरी के कारण ग्रामीणों पर कर्ज का बोझ बढ़ना।
(iv) महिलाओं पर घरेलू हिंसा का बढ़ना।
(v) शराब माफियों के सक्रिय होने से ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध संख्या का बढ़ाना।
(vi) यह आंदोलन केवल नशाबंदी तक सीमित नहीं था, बल्कि समाज में पिछड़ों और दलितों के अधिकारों की बात भी करता था।
20. 1980 के पश्चात् भारतीय किसान यूनियन द्वारा की गई चार माँगो का वर्णन कीजिए।
उत्तर : 1980 के पश्चात् भारतीय किसान यूनियन द्वारा की गई चार माँग :
भारतीय किसान यूनियन ने गन्ने और गेहूं की सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोत्तरी की मांग की।
कृषि उत्पादों के अन्तर्राज्य पर लगी पाबंदी को हटाने की मांग की।
समुचित दर पर गारंटीसुदा बिजली आपूर्ति करने की मांग की।
किसानों के बकाया कर्ज माफ करने और किसानों के लिए पेंशन की मांग की।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – Class 12 Political Science Important
Q/A
Q1. Class 12 Political Science में कौन-कौन से अध्याय से ज़्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं?
Ans : शीत युद्ध का दौर, वैश्वीकरण, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, भारत के विदेशी संबंध और कांग्रेस प्रणाली से हर साल महत्वपूर्ण प्रश्न बोर्ड परीक्षा में आते हैं।
Q2. Political Science Important Questions कैसे याद करें?
Ans : नियमित रूप से NCERT Solutions पढ़ें, छोटे नोट्स बनाएँ और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र हल करें। साथ ही यहाँ दिए गए Important Q/A in Hindi को बार-बार revise करें।
Q3. क्या ये प्रश्न CBSE Board Exam 2025 के लिए उपयोगी हैं?
Ans : हाँ, ये सभी प्रश्न NCERT Syllabus और Board Exam Pattern के आधार पर तैयार किए गए हैं, जो परीक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
Q4. Political Science में अच्छे अंक लाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
Ans : उत्तर लिखते समय Point-wise, Diagram/Flowchart और Keywords का प्रयोग करें। साथ ही नियमित MCQs Practice और Previous Year base Questions करें।
👉 अगर आप Class 12 Political Science के अन्य अध्यायों के NCERT प्रश्न-उत्तर देखना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए links पर जाएँ:
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