भारत की विदेश नीति | Class 12 Political Science Notes

भारत की विदेश नीति (India’s Foreign Policy )– Class 12 Political Science Notes in Hindi [गुटनिरपेक्ष आंदोलन, पंचशील, शांति की नीति]

"क्या आप Class 12 Political Science की तैयारी कर रहे हैं और भारत की विदेश नीति (India’s Foreign Policy in Hindi) पर आसान और exam-oriented notes ढूँढ रहे हैं? इस पेज पर आपको NCERT आधारित पूरी जानकारी मिलेगी – गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Alignment Movement), पंचशील सिद्धांत, शांति की नीति और भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध। यह नोट्स बोर्ड एग्जाम और प्रतियोगी परीक्षाओं दोनों के लिए बेहद उपयोगी हैं।"

भारत की विदेश नीति और वैश्विक संबंध | कक्षा 12 राजनीति विज्ञान | Indian Foreign Policy Class 12
India's foreign policy

परिचय 

भारत की विदेश नीति वह दिशा और रणनीति है, जिसके माध्यम से भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने राष्ट्रीय हित, सुरक्षा और विकास को सुनिश्चित करता है। यह नीति देश की स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता और सम्मान को बनाए रखने में मदद करती है। विशेष रूप से नेहरू के समय से, भारत ने अपनी विदेश नीति को गुटनिरपेक्ष और शांतिप्रिय रखा, ताकि शीत युद्ध के दो ध्रुवों (अमेरिका और सोवियत संघ) के प्रभाव से मुक्त रहते हुए अपने विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।


महत्व

(i) राष्ट्रीय हित की रक्षा :
विदेश नीति के माध्यम से भारत अपनी स्वतंत्रता, सुरक्षा और सीमाओं की अखंडता सुनिश्चित करता है।

(ii) अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति :
यह नीति भारत को विश्व शांति और सहयोगपूर्ण संबंध बनाने में मदद करती है।
संयुक्त राष्ट्र, NAM, BRICS और G20 जैसे मंचों में भारत की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है।

(iii) विकासशील देशों के हितों की रक्षा: 
भारत अपने अनुभव और संसाधनों के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज़ बनता है। यह नीति छोटे देशों को भी वैश्विक निर्णयों में समान अधिकार देती है।

(iv) आर्थिक और सामाजिक प्रगति :
विदेश नीति का उद्देश्य भारत के लिए वैश्विक व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग सुनिश्चित करना भी है। इसके माध्यम से देश का आर्थिक और सामाजिक विकास तेजी से संभव होता है।


नेहरू की विदेश नीति के उद्देश्य

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की विदेश नीति को स्वतंत्र, नैतिक और विकासोन्मुख बनाने के लिए कई उद्देश्य निर्धारित किए। मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

(i) संघर्ष से मिली स्वतंत्रता की रक्षा :
भारत ने स्वतंत्रता संग्राम के बाद अपनी संपूर्ण स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुरक्षित रखने का लक्ष्य रखा। इसके लिए विदेश नीति का उद्देश्य था कि भारत किसी भी विदेशी दबाव या हस्तक्षेप से मुक्त रहे।

(ii) क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखना :
नेहरू की विदेश नीति का एक और उद्देश्य था कि भारत अपनी सीमाओं और क्षेत्रीय एकता की रक्षा करे। इसके लिए भारत ने पड़ोसी देशों के साथ संपर्क, संवाद और सहयोग बनाए रखा, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे।

(iii) तेज़ आर्थिक और सामाजिक विकास :
नेहरू ने विदेश नीति को देश के विकास का सहारा बनाने का लक्ष्य रखा। इसके माध्यम से भारत ने विकासशील देशों के साथ सहयोग, आर्थिक समझौते और तकनीकी सहायता के अवसर बनाए।


भारत की विदेश नीति के मुख्य सिद्धांत

1. पंचशील सिद्धांत (1954) 

(i) 1954 में भारत और चीन के बीच समझौते के तहत पंचशील के पाँच मूलभूत सिद्धांत बने:
(ii) एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान।
(iii) एक दूसरे पर आक्रमण न करना।
(iv) आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
(v) समानता और पारस्परिक लाभ।
(vi) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।

2. गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM)

(i) शीत युद्ध काल में भारत ने न अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट को अपनाया और न ही सोवियत संघ के नेतृत्व वाले गुट को। 
(ii) पंडित नेहरू, युगोस्लाविया के टिटो, मिस्र के नासिर और इंडोनेशिया के सुकर्णो इसके प्रमुख नेता थे। 
(iii) भारत ने हमेशा स्वतंत्र और निष्पक्ष विदेश नीति अपनाने पर जोर दिया।

3. शांति और सहयोग

(i) भारत ने हमेशा युद्ध विरोधी रुख अपनाया।
(ii) कोरियाई युद्ध, वियतनाम युद्ध, फिलिस्तीन विवाद जैसे मुद्दों पर भारत ने शांति का पक्ष लिया।

4. विकासशील देशों के साथ एकजुटता

(i) भारत ने अफ्रीका और एशिया के उपनिवेशित देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों का समर्थन किया।
(ii) दक्षिण अफ्रीका में अपार्थाइड नीति (नस्लभेद) का विरोध किया।


भारत की विदेश नीति की विशेषताएँ :

भारत की विदेश नीति स्वतंत्र, नैतिक और विश्व शांति पर आधारित है। इसके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:

(i) स्वतंत्र और स्वायत्त नीति :
भारत अपनी विदेश नीति में किसी भी अन्य देश के प्रभाव में नहीं आता। निर्णय स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं, ताकि देश के राष्ट्रीय हित और सुरक्षा की रक्षा हो सके।

(ii) नैतिकता और आदर्शवाद पर आधारित :
भारत की विदेश नीति सिर्फ शक्ति और लाभ पर नहीं बल्कि नैतिकता, न्याय और आदर्शों पर आधारित है। यह नीति अंतरराष्ट्रीय संबंधों में समानता और सम्मान बनाए रखने का प्रयास करती है।

(iii) विश्व शांति और सहयोग का समर्थन :
भारत वैश्विक मंच पर शांति, असैन्यकरण और सहयोग को बढ़ावा देता है। युद्ध या संघर्ष के बजाय संवाद और कूटनीति के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने पर जोर देता है।

(iv) विकासशील देशों की आवाज़ बनना :
भारत विकासशील देशों के हितों की रक्षा करता है और उनकी समस्याओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाता है। इसके माध्यम से छोटे और मध्यम देशों को भी वैश्विक निर्णयों में समान अधिकार और प्रभाव मिलता है।

(v) अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी :
भारत संयुक्त राष्ट्र, NAM, BRICS, G20 और अन्य वैश्विक मंचों पर सक्रिय रूप से भाग लेता है। यह वैश्विक नीतियों और आर्थिक-राजनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


प्रमुख घटनाएँ और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत:
(i) 1955 : बांडुंग सम्मेलन,
(ii) 1961 : बेलग्रेड प्रथम सम्मेलन,
(iii) आज 120 सदस्य देश 

(i) बांडुंग सम्मेलन (1955) 
  • इंडोनेशिया के बांडुंग शहर में एशिया और अफ्रीका के 29 देशों के प्रतिनिधियों ने पहली बार बड़े पैमाने पर एकत्र होकर शांति, सहयोग और आर्थिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य था औपनिवेशिकता के खिलाफ संघर्ष और समानता पर आधारित सहयोग स्थापित करना।
  • भारत, इंडोनेशिया, मिस्र, श्रीलंका और अन्य देश इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

(ii) बेलग्रेड प्रथम सम्मेलन (1961) :
  • 1961 में यूगोस्लाविया के बेलग्रेड शहर में पहला आधिकारिक गैर-संरेखित देशों का सम्मेलन आयोजित हुआ।
  • इसमें 25 देशों ने भाग लिया और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की औपचारिक स्थापना हुई।
  • सम्मेलन में शांति, असैन्यकरण, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय न्याय की दिशा में सहयोग पर जोर दिया गया।
(iii) आज की स्थिति (120 सदस्य देश) :
  • वर्तमान में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के लगभग 120 सदस्य देश हैं।
  • यह आंदोलन वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों की साझा आवाज़ के रूप में कार्य करता है।
  • NAM के माध्यम से सदस्य देश आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा मामलों में सहयोग और स्वतंत्र निर्णय सुनिश्चित करते हैं।

वर्तमान समय में भारत की विदेश नीति

(i) आर्थिक उदारीकरण (1991) के बाद भारत ने अमेरिका, यूरोप, रूस और एशियाई देशों से घनिष्ठ संबंध बनाए।
(ii) SAARC, BRICS, G-20 जैसे संगठनों में सक्रिय भूमिका।
(iii) आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार जैसे मुद्दों पर नेतृत्व।
(iv) पड़ोसी देशों (नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश) के साथ "Neighborhood First Policy"।
(v) "Act East Policy" और "Look West Policy" के माध्यम से एशियाई देशों से संबंध मजबूत करना।

निष्कर्ष

भारत की विदेश नीति का मूल आधार शांति, गुटनिरपेक्षता और सहयोग रहा है। आज के समय में भारत न केवल एशिया में बल्कि पूरे विश्व में एक सशक्त और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।


❓ भारत की विदेश नीति – महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Class 12 Political Science in Hindi)

प्रश्न 1. भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा, विश्व शांति की स्थापना, गुटनिरपेक्षता, औपनिवेशवाद और नस्लवाद का विरोध तथा विकासशील देशों के साथ सहयोग करना है।

प्रश्न 2. पंचशील सिद्धांत क्या है? इसके पाँच सिद्धांत लिखिए।
उत्तर: 1954 में भारत और चीन के बीच समझौते से पंचशील सिद्धांत सामने आए। इसके पाँच सिद्धांत हैं:
1.     एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना।
2.     एक दूसरे पर आक्रमण न करना।
3.     आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
4.     समानता और पारस्परिक लाभ प्राप्त करना।
5.     शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना।

प्रश्न 3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) क्या है?
उत्तर: गुटनिरपेक्ष आंदोलन एक ऐसी नीति है जिसमें किसी भी शक्ति गुट (अमेरिका या सोवियत संघ) में शामिल न होकर स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई जाती है। भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।

प्रश्न 4. गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका बताइए।
उत्तर: (i) पंडित नेहरू ने NAM के सिद्धांतों को दिशा दी।
(ii) भारत ने शीत युद्ध में किसी गुट का पक्ष नहीं लिया।
(iii) विकासशील देशों के सहयोग और शांति की स्थापना पर बल दिया।

प्रश्न 5. भारत की विदेश नीति में शांति का महत्व क्या है?
उत्तर: (i) भारत ने हमेशा युद्ध के बजाय संवाद और सहयोग को प्राथमिकता दी।
(ii) कोरियाई युद्ध और वियतनाम युद्ध में शांति का पक्ष लिया।
(iii) संयुक्त राष्ट्र की शांति सेनाओं में भागीदारी की।
(iv) भारत का मानना है कि विकास केवल शांति में संभव है।

प्रश्न 6. स्वतंत्र भारत की विदेश नीति का निर्माण किसके नेतृत्व में हुआ?
उत्तर: स्वतंत्र भारत की विदेश नीति का निर्माण पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में हुआ। वे देश के पहले प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री थे।

प्रश्न 7. शीत युद्ध के समय भारत की विदेश नीति कैसी रही?
उत्तर: भारत ने शीत युद्ध में किसी भी गुट (अमेरिका या सोवियत संघ) में शामिल न होकर गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई और विश्व शांति की स्थापना पर जोर दिया।

प्रश्न 8. विकासशील देशों के प्रति भारत का दृष्टिकोण कैसा रहा?
उत्तर: भारत ने विकासशील देशों की स्वतंत्रता आंदोलनों का समर्थन किया, उपनिवेशवाद का विरोध किया और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 9. वर्तमान समय में भारत की विदेश नीति की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:  (i) पड़ोसी देशों के साथ "Neighborhood First Policy"।
(ii) "Act East Policy" और "Look West Policy"।
(iii) BRICS, SAARC, G-20 जैसे संगठनों में सक्रिय भूमिका।
(iv) अमेरिका, रूस और यूरोप से रणनीतिक संबंध।
(v) आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार पर नेतृत्व।

प्रश्न 10. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में भारत की भूमिका क्या रही है?
उत्तर: भारत UNO का संस्थापक सदस्य है। भारत ने शांति स्थापना, उपनिवेशवाद विरोध, मानवाधिकार और वैश्विक सहयोग में सक्रिय योगदान दिया है।

प्रश्न 11. भारत की विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता क्यों आवश्यक थी?
उत्तर: (i) शीत युद्ध में विश्व दो गुटों में बँटा था।
(ii) किसी गुट में शामिल होने से भारत की स्वतंत्रता और विकास प्रभावित होता।
(iii) गुटनिरपेक्षता से भारत को स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने का अवसर मिला।

प्रश्न 12. भारत की विदेश नीति में आर्थिक उदारीकरण (1991) का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: (i) पश्चिमी देशों के साथ आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ा।
(ii) विदेशी निवेश और व्यापार संबंध मजबूत हुए।
(iii) भारत की विदेश नीति अब अधिक व्यावहारिक और आर्थिक हितों पर आधारित हो गई।




अपनी तैयारी आगे बढ़ाएँ :



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ