- तीसरी दुनिया के देशों में मानव सुरक्षा प्राथमिक है क्योंकि वहाँ जनता को बुनियादी जरूरतों की कमी का सामना करना पड़ता है।
- विकसित देशों में राज्य की सुरक्षा और वैश्विक खतरों से निपटना प्राथमिक होता है।
5. आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है यह अपरंपरागत ?
उत्तर : अपरंपरागत : ये खतरे राज्य के अलावा अन्य स्रोतों से उत्पन्न होते हैं और इसमें नागरिकों की सुरक्षा, मानवाधिकार, पर्यावरण, स्वास्थ्य और आतंकवाद शामिल हैं। ये राज्य के बजाय समाज और व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
आतंकवाद एक अपरंपरागत खतरा है, क्योंकि:
(i) यह अक्सर राज्य के बजाय गैर-राज्य अभिनेता (जैसे उग्रवादी संगठन) द्वारा संचालित होते हैं।
(ii) आतंकवादियों का लक्ष्य अक्सर आम नागरिक होते हैं। उनको को डराना और सरकार को अस्थिर करना होता है। यह डर, अराजकता और अस्थिरता फैलाने के लिए किया जाता है।
(iii) आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि यह एक राज्य को दूसरे राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।
6. सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से बताएं कि अगर किसी राष्ट्रीय पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?
उत्तर : सुरक्षा की परंपरागत दृष्टिकोण में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करना होता है।
सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से अगर किसी राष्ट्रीय पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसके सामने निम्न्लिखित विकल्प होते हैं:-
1. सैन्य गठबंधन : राष्ट्र अन्य देशों के साथ सैन्य समझौते करता है ताकि संकट के समय सहयोग मिल प्राप्त हो सके। राष्ट्र अपने सशस्त्र बलों को मजबूत करता है।
उदाहरण: NATO जैसे संगठन।
2. सैन्य तैयारी करना : हथियारों, टैंकों, विमानों, मिसाइलों आदि की संख्या को बढ़ाया जाता है और सीमाओं की निगरानी कड़ी की जाती है।
3. रणनीतिक नीति अपनाना :- राष्ट्र खतरे से निपटने के लिए रणनीतिक योजनाएं बनाता है जैसे कि परमाणु हथियारों का संतुलन और गुप्तचर प्रणाली।
4. राष्ट्र राजनयिक वार्ताओं के माध्यम से संघर्ष को टालने की कोशिश करता है और पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सशक्त करता हैं ताकि आंतरिक विद्रोह, आतंकवाद आदि से भी निपटा जा सके।
7. 'शक्ति-संतुलन' क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता हैं ?
उत्तर : शक्ति-संतुलन का अर्थ है - अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का ऐसा वितरण जहाँ कोई एक समूह या राज्य इतना शक्तिशाली न हो जाए कि वह अन्य देशों पर अपना प्रभुत्व जमा सके। इसका उद्देश्य है दुनिया में शांति और स्थिरता बनाए रखना।
कोई देश शक्ति-संतुलन को निम्न तरीको से कायम करता है जैसे :-
1. सैन्य गठबंधन बनाकर : देश आपस में गठबंधन करते हैं ताकि मिलकर किसी एक शक्तिशाली देश का मुकाबला कर सकें।
2. हथियारों पर नियंत्रण : देश शस्त्रों की होड़ को रोकने के लिए आपसी सहमति से समझौते करते हैं, जिससे शक्ति का संतुलन बना रहता है और शक्ति का असमान वितरण कम होता है।
उदाहरण: न्यूक्लियर हथियार नियंत्रण संधियाँ।
3. बड़े देशों का समर्थन प्राप्त करना : छोटे देश शक्तिशाली देशों से सुरक्षा सहायता लेकर संतुलन बनाए रखते हैं।
4. राजनयिक संबंध रणनीतियाँ : कूटनीतिक तरीके अपनाकर तथा दूरी बनाकर अपने हितों की सुरक्षा करते हैं।
8. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैनिक गठबंधन का नाम बताएं जो अभी मौजूद हैI इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएं?
उत्तर : सैन्य गठबंधन वह संगठन या समझौता है जिसमें दो या दो से अधिक देश सैन्य सहयोग, रक्षा सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग के लिए बनाए जाते हैं। गठबंधन बनाना पारंपरिक सुरक्षा नीति का एक तत्व है।
सैन्य गठबंधनों के उद्देश्य:
1. सैन्य शक्ति को एकजुट करना : सैन्य अभ्यास, और हथियारों का उपयोग करके सामूहिक शक्ति को बढ़ाना।
2. सामूहिक सुरक्षा : अगर किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है, तो हमला होने की स्थिति में सभी सदस्य मिलकर उसका बचाव करें।
3. रणनीतिक प्रभाव बढ़ाना: किसी विशेष क्षेत्र में राजनीतिक और सैन्य प्रभाव बनाए रखना। क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता बनाए रखना।
वर्तमान में मौजूद एक सैन्य गठबंधन का नाम : 'NATO'
NATO - North Atlantic Treaty Organization
नाटो - उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन
स्थापना: 4 अप्रैल 1949
मुख्यालय: ब्रसेल्स, बेल्जियम
सदस्य देश: 32 (2025 तक) – जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी आदि।
NATO के उद्देश्य :-
1. शांति और स्थिरता बनाए रखना।
2. सदस्य देशों के बीच सैन्य और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना।
3. सदस्यों की सामूहिक रक्षा सुनिश्चित करना। अगर किसी एक सदस्य पर हमला होता है, तो वह सभी पर हमला माना जाएगा (अनुच्छेद 5)।
4. आतंकवाद और साइबर खतरों से निपटना।
9. पर्यावरण के तेजी से हो रहे नुकसान से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण देते हुए अपने तर्कों की पुष्टि करें।
उत्तर : हाँ, मैं इस कथन से पूरी तरह सहमत हूँ कि पर्यावरण के तेजी से हो रहे नुकसान से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है क्योंकि :-
1. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा, बाढ़, आदि जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है और स्वास्थ्य, आजीविका, खाद्य और जल सुरक्षा को खतरा होता है।
2. ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का विस्थापन हो सकता है। इससे आंतरिक अस्थिरता और प्रवासी संकट पैदा हो सकता है।
3. जब पर्यावरणीय कारणों से लोग विस्थापन होता हैं, तो यह राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव को जन्म देता है, जिसके चलते देश की आंतरिक सुरक्षा प्रभावित होती है।
4. विकास की दौड़ में कई देश प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय संकट और भी बढ़ गया है। जिसके चलते भविष्य में संसाधनों को लेकर राज्य-स्तरीय संघर्ष की आशंका बढ़ सकती हैं।
"पर्यावरणीय संकट अब केवल "हरित मुद्दा" नहीं रह गया हैं , बल्कि यह अब आर्थिक विकास, सामाजिक स्थिरता का केंद्र बन चुका है।"
10. देश के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं उनमें परमाणविक हथियार का सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है इस कथन का विस्तार करें।
उत्तर : आज के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा बदल गई है। अब देश के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं उनमें परमाणविक हथियार का सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. आजकल देशों को सबसे बड़ा खतरा बाहरी सैन्य आक्रमण से नहीं हैं , बल्कि आंतरिक अशांति, आतंकवाद और उग्रवाद से है। इनसे निपटने के लिए सैन्य बलों की आवश्यकता होती है, न की परमाणु हथियारों की।
उदहारण : भारत जैसे देशों को सीमा पार से आतंकवाद का सामना करना पड़ता है। जो सैन्य तरीको को अपनाकर हल किए जाते हैं
2. सभी देश इस बात से सहमत हो चुके हैं कि परमाणु हथियारों का प्रयोग विनाशकारी साबित होता है। इसलिए कोई भी देश इन्हें इस्तेमाल करने में झिझकते है। भारत की "नो फर्स्ट यूज़" (No First Use) नीति इस सिद्धांत को दर्शाती है।
3. आज के समय में आज में साइबर युद्ध, महामारी, जैविक हमले, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मुख्य चुनौतियाँ हैं, जिनका समाधान परमाणु हथियारों के जरिये नहीं किया सकता हैं।
11. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किसी किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए पारंपरिक या अपारंपरिक? अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन से उदहारण देंगे।
उत्तर : भारतीय परिदृश्य में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों प्रकार की सुरक्षा को समान रूप से वरीयता दी जानी चाहिए क्योंकि दोनों ही राष्ट्र की स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पारंपरिक सुरक्षा : देश की सीमाओं की रक्षा करना और सैन्य ताकत के ज़रिए बाहरी खतरों का सामना करना।
वरीयता के कारण :
पारंपरिक सुरक्षा का मुख्य केंद्र सैन्य बल और बाहरी खतरों से सुरक्षा करना होता है।
उदाहरण: भारत ने 1947, 1965, 1971 और 1999 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़े हैं।
भारत का पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद है और चीन के साथ 1962 का युद्ध और 2020 में गलवान घाटी में टकराव। इसके चलते भारत का पड़ोसी देशों के साथ जटिल संबंधों को देखते हुए पारंपरिक सुरक्षा को आवश्यक मन जा सकता माना जा सकता हैं।
अपारंपरिक सुरक्षा :
अपारंपरिक सुरक्षा की वरीयता: इसके अंतर्गत देश की सीमाओं की रक्षा करना और सैन्य ताकत के ज़रिए बाहरी खतरों का सामना करना शामिल हैं।
वरीयता के कारण :
अपारंपरिक सुरक्षा का संबंध आंतरिक खतरों, जैसे गरीबी, पर्यावरणीय संकट, आतंकवाद, मानव सुरक्षा, स्वास्थ्य, नक्सलवाद, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा आदि से होता है।
उदाहरण: कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य सुरक्षा की महत्ता को उजागर किया।
साइबर सुरक्षा अब राष्ट्रीय सुरक्षा का एक नया क्षेत्र बन चुका है।
निष्कर्ष: पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों प्रकार की सुरक्षा को संतुलित रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि देश का समग्र विकास और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।
12. नीचे दिए गए कार्टून को समझे कार्टून में युद्ध और आतंकवाद का जो संबंध दिखाया गया है उसके पक्ष या विपक्ष में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर : इस कार्टून में युद्ध और आतंकवाद के संबंध को दर्शाया गया है। इसमें दिखाया गया है कि आतंकवाद युद्ध से ही उत्पन्न होता है।
संक्षिप्त टिप्पणी (पक्ष में) :-
यह चित्र इस बात को सही ठहराता है कि युद्ध से हिंसा और अस्थिरता फैलती है, जिससे आतंकवादी समूह पनपते हैं। युद्ध के कारण गरीबी, असुरक्षा और घृणा बढ़ती है, जिसे आतंकवादी संगठन अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं। अतः कहा जा सकता है कि युद्ध आतंकवाद को जन्म देता है और उसे बढ़ावा भी देता है। इसलिए शांति और संवाद ही स्थायी समाधान हैं।
📌 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – समकालीन विश्व में सुरक्षा
Q1. समकालीन विश्व में सुरक्षा का क्या अर्थ है?
Ans : समकालीन विश्व में सुरक्षा से आशय है दुनिया में देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राजनीतिक, सैन्य और पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
Q2. समकालीन विश्व में सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
Ans : (i) आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध
(ii) परमाणु और जैविक हथियार
(iii) वैश्विक राजनीतिक संघर्ष और क्षेत्रीय विवाद
(iii) पर्यावरणीय खतरे और संसाधनों की कमी
Q3. भारत की अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति में मुख्य भूमिका क्या है?
Ans : भारत ने शांति, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, परमाणु सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
Q4. बोर्ड परीक्षा के लिए कौन-कौन से प्रश्न महत्वपूर्ण हैं?
Ans : (i) समकालीन विश्व में सुरक्षा की परिभाषा और महत्व
(ii) वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ
(iii) भारत और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति
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