अध्याय 6 : लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट | NCERT Solution

Class 12 Political Science Chapter 6: लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट | NCERT Solutions

"Class 12 Political Science Chapter 6 – लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट (The Crisis of Democratic Order) के सभी प्रश्न-उत्तर (NCERT Solutions) यहाँ सरल और स्पष्ट भाषा में उपलब्ध हैं। इस अध्याय में भारत में आपातकाल (Emergency), लोकतंत्र पर आए संकट, राजनीतिक अस्थिरता और आपातकाल के बाद की राजनीति का अध्ययन किया गया है। यह प्रश्न-उत्तर न केवल Class 12 Board Exams बल्कि UPSC, SSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायक होंगे। Political Science Class 12 के इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को यहाँ सटीक उत्तरों के साथ प्रस्तुत किया गया है।"


अध्याय 6 : लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
लोकतांत्रिक संकट

1. बताएं कि आपातकाल के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत -
(क) आपातकाल की घोषणा 1975 में इंदिरा गांधी ने की।
(ख) आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निष्क्रिय हो गए।
(ग) बिगड़ती  हुई आर्थिक स्थिति के मद्देनजर आपातकाल की घोषणा की गई थी।
(घ) आपातकाल के दौरान विपक्ष के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(ड) सी.पी.आई. ने आपातकाल की घोषणा का समर्थन किया।
उत्तर : (क) सही (ख) सही (ग)गलत (घ) सही (ड) सही
 
2. निम्नलिखित में से कौन - सा आपातकाल की घोषणा के संदर्भ से मिल नहीं खाता है:
(क) 'संपूर्ण क्रांति 'का आहवान 
(ख) 1974 की रेल -हड़ताल
(ग) नक्सलवादी आंदोलन
(घ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला
(ड) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष
उत्तर : (ड) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष

3. निम्नलिखित में मेल बैठाएं 

() संपूर्ण क्रांति    

(a) इंदिरा गांधी

() गरीबी हटाओ 

(b) जयप्रकाश  नारायण

() छात्र आंदोलन 

(c)  बिहार आंदोलन

() रेल हड़ताल  

(d)  जॉर्ज फर्नांडिस


उत्तर :

() संपूर्ण क्रांति    

(b) जयप्रकाश  नारायण

() गरीबी हटाओ 

(a) इंदिरा गांधी

() छात्र आंदोलन 

(c)  बिहार आंदोलन

() रेल हड़ताल  

(d)  जॉर्ज फर्नांडिस


4. किन कारणों  से 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े ?
उत्तर :1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े क्योंकि जनता पार्टी की सरकार कमजोर हो गई थी और अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। इसके पीछे मुख्य कारण ये थे:
(i) 1977 में जो नेता मिलकर सरकार में आए थे, उनके बीच आपसी विचार और नेतृत्व को लेकर बहुत मतभेद थे।
(ii) कई नेता प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से खुश नहीं थे और उनके नेतृत्व को चुनौती दे रहे थे।
(iii) जनता पार्टी को लोगों ने इसलिए चुना था कि वो आपातकाल के बाद लोकतंत्र को मजबूत करेगी, लेकिन सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
(iv) 1979 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई और कोई नई सरकार स्थायी रूप से नहीं बन सकी।
इसलिए, 1980 में राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग कर दी और मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े।

5. जनता पार्टी में 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था। इस आयोग की नियुक्ति क्यों की गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे?
उत्तर : इस आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जे.सी. शाह  थे , जो सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज थे।
1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उसने शाह आयोग की नियुक्ति की। इसके कई थे जैसे :
(i) 1975-77 के बीच आपातकाल के समय सरकार द्वारा किए गए गलत कामों की जांच हेतु की गयी।
(ii) लोगों के मौलिक अधिकारों के हो रहे उल्लंघन का पता लगाने हेतु
(iii) सरकारी अधिकारियों द्वारा कानून का दुरुपयोग कैसे किया इस बात का पता लगाने हेतु।

शाह आयोग की रिपोर्ट ने दिखाया कि आपातकाल के समय लोकतंत्र को कमजोर किया गया और सत्ता का गलत इस्तेमाल हुआ। 
शाह आयोग के मुख्य निष्कर्ष निम्न प्रकार रहे :
(i) आपातकाल के समय संविधान का गलत उपयोग हुआ।
(ii) लोगों को बेवजह जेल में डाला गया।
(iii) प्रेस की आज़ादी पर रोक लगाई गई।
(iv) सरकार ने अपने विरोधियों को दबाने के लिए कानूनों का गलत इस्तेमाल किया।
(v) नियम और प्रक्रिया की अनदेखी की गई।
(vi) अधिकारियों ने बिना उचित प्रक्रिया के फैसले लिए और लोगों को खूब सताया।

6. 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे ?
उत्तर : 1975 में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की, तो सरकार ने इसके दो मुख्य कारण बताए थे :
(i) आंतरिक अव्यवस्था :
सरकार ने कहा कि देश में शांति और व्यवस्था बिगड़ रही है। विरोध-प्रदर्शन, हड़तालें और आंदोलन बहुत बढ़ गए थे। इससे सरकार को लगा कि देश की एकता और स्थिरता को खतरा हो सकता है इसलिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा  सुनिश्चित किया गया था।
(ii) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा:
सरकार का कहना था कि भारत की सुरक्षा को अंदरूनी और बाहरी ताकतों से खतरा है। खासकर, 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान और अमेरिका से संबंध अच्छे नहीं थे, इसलिए सुरक्षा की चिंता जताई गई।
निष्कर्ष:
सरकार ने यह कहा कि आपातकाल इसलिए जरूरी था क्योंकि देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही थी और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाना ज़रूरी हो गया था।

7. 1977 के चुनावो के बाद पहली दफा केंद्र में विपक्षी दल की सरकार बनी। ऐसा किन कारणों से संभव हुआ?
उत्तर : 1977 के लोकसभा चुनावों में पहली बार विपक्षी दलों की सरकार बनने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे:
(क)आपातकाल का विरोध:
(i) 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लागू किया।
(ii) आपातकाल में मौलिक अधिकारों का हनन, अखबारों पर सेंसरशिप, और विरोधियों की गिरफ्तारी हुई।
(iii) इससे जनता में नाराजगी और असंतोष फैल गया।
(जनता पार्टी का गठन:
(i) इंदिरा गांधी की नीतियों के खिलाफ कई विपक्षी दलों ने मिलकर एक नया दल बनाया: जनता पार्टी
(ii) इसमें जनसंघ, भारतीय लोकदल, कांग्रेस (O) और समाजवादी पार्टियाँ शामिल थीं।
(iii) इस एकता ने विपक्ष को मज़बूत विकल्प बना दिया।
(जनता का विश्वासघात महसूस करना:
(i) जनता को लगा कि कांग्रेस ने उनके लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया है।
(ii) उन्होंने वोट के जरिए अपना गुस्सा और विरोध जताया।
(घ) मीडिया और बुद्धिजीवियों का विरोध:
(i) कई पत्रकारों, लेखकों और बुद्धिजीवियों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज़ उठाई।
(ii) इससे लोगों को सही जानकारी मिली और वे सचेत नागरिक बने।
(ड) पहली बार राजनीतिक विकल्प की जागरूकता:
(i) जनता को पहली बार यह अहसास हुआ कि वे एक सशक्त लोकतंत्र में हैं और वे सरकार को बदल सकते हैं।
(ii) इससे लोगों ने बड़े स्तर पर मतदान किया और कांग्रेस को हराया।
निष्कर्ष:
आपातकाल के गलत प्रभावों, विपक्ष की एकता, और जनता की लोकतंत्र में आस्था के चलते 1977 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और पहली बार विपक्षी दल की सरकार बनी। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ था।

8. हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपातकाल का क्या असर हुआ?
(क) नागरिक अधिकारों की दशा और नागरिकों पर इसका असर 
(ख) कार्यपालिका और न्यायपालिका के संबंध 
(ग) जनसंचार माध्यम के कामकाज
(घ) पुलिस और नौकरशाही की कार्यवाईयाँ
उत्तर : (क) नागरिक अधिकारों की दशा और नागरिकों पर इसका असर:
(i) मौलिक अधिकारों का निलंबन : आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों, विशेषकर स्वतंत्रता का अधिकार और जीवन का अधिकार को निलंबित कर दिया गया।
(ii) हजारों लोगों की गिरफ्तारी : सरकार के विरोध में बोलने वाले नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को बिना मुकदमे के जेल में डाल दिया गया। इसे मीसा (MISA – Maintenance of Internal Security Act) के तहत अंजाम दिया गया।
(iv) जनता में डर और चुप्पी : आम लोगों में डर का माहौल बन गया। सरकार की आलोचना करना खतरनाक हो गया।
(v) न्याय की उपलब्धता पर रोक : अदालतों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हबीयस कॉर्पस) जैसे अधिकारों के प्रयोग पर भी रोक लगा दी गयी।

(ख) कार्यपालिका और न्यायपालिका के संबंध:
(i) कार्यपालिका का दबदबा : कार्यपालिका, खासकर प्रधानमंत्री कार्यालय, ने सभी प्रमुख निर्णय अपने हाथ में ले लिए।
(ii) लोकतंत्र की संस्थागत स्वतंत्रता कमजोर : न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर प्रश्न उठने लगे। इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण केस इसका प्रमुख उदाहरण है।
(iii) न्यायपालिका पर दबाव : न्यायपालिका को भी सरकार के फैसलों के पक्ष में झुकने के लिए मजबूर किया गया।

(ग) जनसंचार माध्यम के कामकाज पर असर:
(i) मीडिया पर सेंसरशिप : अख़बारों और पत्रिकाओं पर सरकार की पूरी निगरानी थी। बिना सरकारी अनुमति के कुछ भी छापना वर्जित था।
(ii) विरोध की आवाज दबाना : स्वतंत्र प्रेस को वर्जित किया गया, जिससे जनता सही जानकारी से अनजान रही।
(iii) कुछ मीडिया संस्थानों ने समझौता किया : कई बड़े समाचार पत्रों ने सरकार के सामने झुककर काम किया, जबकि कुछ ने बहादुरी से विरोध भी किया।
जैसे – The Indian Express

(घ) पुलिस और नौकरशाही की कार्रवाइयाँ:
(i) सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग : पुलिस और प्रशासन का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं और जनता को डराने के लिए किया गया।
(ii) नसबंदी और अनुशासन : कई जगहों पर जबरन नसबंदी जैसे अमानवीय कामों को अंजाम दिया गया, खासकर संजय गांधी के कार्यक्रमों के तहत।
(iii) निष्पक्षता की कमी : प्रशासनिक अधिकारी स्वतंत्र और निष्पक्ष न रहकर पूरी तरह सरकार के अधीन हो गए।

9. भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हुआ? अपने उत्तर की पुष्टि उदाहरणों से करें।
उत्तर : भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का पर गहरा असर पड़ा जिसके परिणामस्वरूप भारतीय राजनीति में कई बदलाव देखने को मिले जैसे :
1. कांग्रेस पार्टी की छवि का कमजोर होना : इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया और मीडिया सेंसरशिप, विरोधी नेताओं की गिरफ्तारी, और न्यायपालिका पर दबाव जैसी घटनाओं ने जनता में कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी पैदा की।
उदाहरण: जयप्रकाश नारायण और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
2. विपक्षी दलों का एकीकरण : (i) आपातकाल के विरोध में विभिन्न विपक्षी दलों ने एकजुट होकर 'जनता पार्टी' बनाई। इससे पहले विपक्ष बिखरा हुआ था, लेकिन आपातकाल ने उन्हें एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।
उदाहरण : 1977 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त रूप से जनता पार्टी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
3. पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ : आपातकाल के बाद हुए 1977 के आम चुनावों में जनता पार्टी को भारी जीत मिली
यह पहली बार था जब केंद्र में कांग्रेस के अलावा कोई दूसरी पार्टी सत्ता में आई थीं।
उदाहरण: प्रधानमंत्री बने मोरारजी देसाई।
4. दलीय राजनीति में प्रतिस्पर्धा बढ़ी : कांग्रेस की लगातार जीत को तोड़ा गया। इसके बाद से भारतीय राजनीति में गठबंधन सरकारों और दलीय प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो गया।
5. लोकतंत्र और राजनीतिक चेतना का विकास : जनता ने महसूस किया कि लोकतंत्र कितना कीमती है। इससे मतदाता अधिक जागरूक और राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए और आगे चलकर मतदान प्रतिशत भी बढ़ा और स्थानीय मुद्दों पर आधारित राजनीति को बल मिला।

10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
1977 के चुनाव के दौरान भारतीय लोकतंत्र, दो-दलीय व्यवस्था के जितना नजदीक आ गया था उतना पहले कभी नहीं आया। बहरहाल अगले कुछ सालों में मामला पूरी तरह बदल गया। हारने के तुरंत बाद कांग्रेस दो टुकड़ों में बंट गई...... जनता पार्टी ने भी बड़ी अफरा तफरी मची...... डेविड बटलर, अशोक लाहिड़ी और प्रणव रॉय

------ पार्था चटर्जी 

(क) किन वजहों से 1977 में भारत की राजनीति दो-दलीय प्रणाली के समान जान पड़ रही थी?
(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टियाँ अस्तित्व में थी। इसके बावजूद लेखकगढ़ इस दौर को दो-दलीय प्रणाली के नजदीक क्यों बता रहे हैं ?
(ग) कांग्रेस और जनता पार्टी में किन कारणों से टूट पैदा हुई?
उत्तर : (क) 1977 में भारत की राजनीति दो-दलीय प्रणाली के समान जान पड़ रही थी क्यूंकि :
(i) चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जनता पार्टी के बीच था।
(ii) अधिकांश मतदाता दो ही विकल्पों के बीच बँटे थे या तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस, या विपक्षी गठबंधन (जनता पार्टी)
(iii) भारत में जनता पार्टी को भारी समर्थन मिला, जिससे लगा कि राजनीति दो स्पष्ट ध्रुवों में बँट गई है।

(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टियाँ अस्तित्व में थी। इसके बावजूद लेखकगढ़ इस दौर को दो-दलीय प्रणाली के नजदीक बता रहे हैं क्यूंकि : 
(i) 1977 में भले ही कई दल थे, परंतु वे सभी विपक्षी दल मिलकर जनता पार्टी के रूप में एकजुट हो गए थे।
(ii) मतदाता को चुनाव में लगभग दो ही विकल्प दिखे: कांग्रेस या जनता पार्टी
(iii) इसलिए यह स्थिति दो-दलीय प्रणाली के बेहद करीब थी।

(ग) कांग्रेस में टूट के कारण :
(i) कांग्रेस के अंदर फूट और गुटबंदी बढ़ी।
जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस दो भागों में बंट गई :
1. इंदिरा गांधी की कांग्रेस (कांग्रेस-आई)
2. शेष पुरानी कांग्रेस 

जनता पार्टी में टूट के कारण:
(i) जनता पार्टी कई विचारधाराओं वाली पार्टियों का मिला-जुला समूह था (जैसे जनसंघ, समाजवादी, गांधीवादी आदि)।
(ii) अंतरिक मतभेद, नेतृत्व की खींचतान, और आदर्शों में टकराव ने पार्टी को कमजोर किया। जिसके परिणामस्वरूप जनता पार्टी स्थिर सरकार नहीं दे पाई, और फिर विघटन हो गया।




📌 Frequently Asked Questions (FAQs)

Q1. Class 12 Political Science Chapter 6 – लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट किस बारे में है?
Ans: यह अध्याय भारत में आपातकाल, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर पड़े प्रभाव और आपातकाल के बाद की राजनीति पर आधारित है।

Q2. क्या यह अध्याय बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है?
Ans: हाँ, इस अध्याय से अक्सर आपातकाल और उसके प्रभाव से जुड़े Short और Long Answer Questions पूछे जाते हैं।

Q3. क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट अध्याय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी है?
Ans: जी हाँ, भारत के आपातकाल और लोकतंत्र पर आए संकट से जुड़े प्रश्न Competitive Exams में बार-बार पूछे जाते हैं।

Q4. इस अध्याय के मुख्य विषय कौन-कौन से हैं?
Ans: आपातकाल की पृष्ठभूमि, आपातकाल के दौरान उठाए गए कदम, लोकतंत्र पर प्रभाव और आपातकाल के बाद की राजनीति।

Q5. Class 12 Political Science Chapter 6 के NCERT Solutions कहाँ मिल सकते हैं?
Ans: इस पेज पर आपको अध्याय 6 – लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट के सभी प्रश्न-उत्तर (NCERT Solutions) सरल भाषा में मिलेंगे।



✨ इस प्रकार Class 12 Political Science Chapter 6 – लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट के सभी NCERT Solutions (प्रश्न-उत्तर) प्रस्तुत किए गए। यह अध्याय भारतीय राजनीति में आपातकाल और लोकतंत्र की परीक्षा को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सामग्री छात्रों के लिए Board Exams और प्रतियोगी परीक्षाओं दोनों में सहायक है।



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अध्याय 7 : जन आंदोलनों का उदय
​Class 12 Political Science Important Questions (Board Exams)





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