अध्याय 8 : क्षेत्रीय आकांक्षाएँ | Class 12 Political Science NCERT Solution in Hindi

कक्षा 12 राजनीति विज्ञान – अध्याय 8 : क्षेत्रीय आकांक्षाएँ  NCERT Solutions हिंदी में

"Class 12 Political Science Chapter 8 – क्षेत्रीय आकांक्षाएँ (Regional Aspirations) के सभी NCERT Solutions (प्रश्न-उत्तर) यहाँ सरल भाषा में दिए गए हैं। इस अध्याय में भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों की आकांक्षाएँ, क्षेत्रीय पहचान, अलगाववादी आंदोलनों और एकता-अखंडता से जुड़े मुद्दों का अध्ययन किया गया है। यह प्रश्न-उत्तर छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। Political Science Class 12 के इस अध्याय के महत्वपूर्ण प्रश्न यहाँ सटीक उत्तरों के साथ उपलब्ध हैं।"

अध्याय 8 : क्षेत्रीय आकांक्षाएँ NCERT SOLUTION



1. निम्नलिखित में मेल करें :

क्षेत्रीय आकांक्षाओं की प्रकृति

राज्य

(1)  सामाजिक - धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण

a)  नागालैंड/मिजोरम

(2)  भाषायी पहचान और केंद्र के साथ तनाव

(b) झारखंड/छत्तीसगढ़

(3)  क्षेत्रीय असंतुलन के फलस्वरुप राज्य का निर्माण  

(c)  पंजाब

(4) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग

(d) तमिलनाडु


उत्तर : 

क्षेत्रीय आकांक्षाओं की प्रकृति

राज्य

(1)  सामाजिक - धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण

(c)  पंजाब

(2)  भाषायी पहचान और केंद्र के साथ तनाव

(d) तमिलनाडु

(3)  क्षेत्रीय असंतुलन के फलस्वरुप राज्य का निर्माण  

(b) झारखंड/छत्तीसगढ़

(4) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग

(a)  नागालैंड/मिजोरम


2. पूर्वोत्तर के लोगों की क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति कई रूपों में होती है। बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन, ज्यादा स्वायत्तता की माँग के आंदोलन और अलग देश बनाने की मांग करना -ऐसी ही कुछ अभिव्यक्तियाँ हैं। पूर्वोत्तर  के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग रंग भरिए और दिखाइए कि  किस राज्य में कौन-सी प्रवृत्ति ज्यादा प्रबल है। 

उत्तर : पूर्वोत्तर भारत में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की विविध प्रवृत्तियों से जुड़ा है, जिसमें मुख्य रूप से तीन प्रकार की मांगें शामिल हैं: (i) बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन (ii) अधिक स्वायत्तता की माँग
(iii) अलग देश की माँग
पूर्वोत्तर के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग राज्यों में प्रवृत्ति के अनुसार रंग :  

अध्याय 8 : क्षेत्रीय आकांक्षाएँ class 12 political science book 2

(i) बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन - यह प्रवृत्ति खासतौर पर असम में देखी गई।
(ii) अधिक स्वायत्तता की माँग - यह मांग कई राज्यों में रही, पर सबसे प्रमुख रूप से मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा आदि में।
(iii) अलग देश की माँग - यह सबसे चरम स्थिति रही, खासकर नागालैंड और मणिपुर में।

3. पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे? क्या ये प्रावधान पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर : पंजाब समझौता यानि राजीव-लोंगोवाल समझौता (1985), भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाल दल के नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य पंजाब में चल रही उग्रवाद, अलगाववाद और राजनीतिक अशांति को समाप्त करना था।
पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान :
(i) सिखों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान : 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार और स्वर्ण मंदिर की घटना के बाद सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची थी इसलिए इस समझौते में सिखों की धार्मिक भावनाओं के सम्मान और नुकसान की भरपाई का वादा किया गया।
(ii) जल विवाद : पंजाब के नदियों के पानी को हरियाणा, राजस्थान आदि में बाँटने के विषय पर विवाद था जिसके तहत वाटर ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्णय लिया गया।
 (iii) चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाना और हरियाणा को इसके बदले अन्य क्षेत्र देना।
(iv) जिन लोगों पर उग्रवाद के चलते में अपराध लगाए गए थे, उन्हें माफ़ी देने की बात की गई।
(v) पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों को पंजाबी भाषी क्षेत्र में शामिल करने का वादा किया गया था।
इन सब प्रावधानों के चलते हरियाणा और अन्य पड़ोसी राज्यों से तनाव बढ़ सकता था :
(i) हरियाणा चंडीगढ़ को अपनी राजधानी मानता है। इसे पंजाब को सौंपने से हरियाणा में नाराज़गी उत्पन्न होना।
(ii) पंजाब अपने नदियों का पानी नहीं बाँटना चाहता, जबकि हरियाणा और राजस्थान को इस पर आपत्ति थी।
(iii) पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में शामिल करने से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा को आपत्ति हो सकती थी।

4. आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के विवादास्पद होने के क्या कारण थे ?

उत्तर : आनंदपुर साहिब प्रस्ताव, 1973 में अकाली दल द्वारा पारित किया गया था। इसका उद्देश्य था पंजाब के लिए अधिक स्वायत्तता, सिखों की धार्मिक पहचान की रक्षा, और कुछ आर्थिक व सामाजिक सुधारों की माँग। लेकिन इसके कुछ शब्दों और माँगों की गलत व्याख्या ने इसे विवादास्पद बना दिया जो निम्न रूप से इस प्रकार है :
(i) प्रस्ताव में कहा गया कि सिख एक अलग राष्ट्र हैं। इससे यह डर पैदा हुआ कि यह भारत से अलग होने की ओर पहला कदम हो सकता है जिससे की कई लोगों ने इसे अलगाववादी सोच माना।
(ii) प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को केवल रक्षा, विदेश नीति और मुद्रा तक सीमित रहना चाहिए। बाकी सभी अधिकार राज्यों को दिए जाएँ। इससे भारत की एकता और संघीय ढांचे को खतरा महसूस किया गया।
(iii) प्रस्ताव में धार्मिक मुद्दों (जैसे गुरुद्वारों की स्वतंत्रता) और राजनीतिक माँगों (जैसे आर्थिक नीति, कृषि) को मिलाया गया। इससे यह लगा कि धर्म और राजनीति को गलत रूप से एक जा रहा है।
(iv) इस प्रस्ताव की भ्रामक व्याख्याएँ उग्रवादियों द्वारा की गईं। बाद में खालिस्तान आंदोलन ने इसी प्रस्ताव को अपने मकसद के समर्थन में इस्तेमाल किया।

5. जम्मू-कश्मीर की अंदरूनी विभिन्नताओं की व्याख्या कीजिए और बताइए कि इन विभिन्नताओं के कारण इस राज्य में किस तरह अनेक क्षेत्रीय आकांक्षाओं ने सर  उठाया है।

उत्तर : कश्मीर एक ऐसा राज्य है जो भौगोलिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषायी दृष्टि से बहुत विविध है। यही विविधता इस राज्य की क्षेत्रीय राजनीति को जटिल और संवेदनशील बनाती है।
जम्मू-कश्मीर की अंदरूनी विभिन्नताएं : 
(i)  क्षेत्रीय विविधता : कश्मीर घाटी - मुस्लिम बहुल (लगभग 95%)
(ii) उर्दू व कश्मीरी भाषा, जम्मू- हिन्दू बहुल क्षेत्र, डोगरी भाषा, 
(iii) (iv) लद्दाख- बौद्ध बहुल और कुछ मुस्लिम आबादी
(iv) राष्ट्रवादी भावना अधिक
(v) सांस्कृतिक रूप से तिब्बत के करीब
(vi) प्रशासनिक स्वतंत्रता की माँग
इन विभिन्नताओं से पैदा होने वाली क्षेत्रीय आकांक्षाएँ इस प्रकार हैं :
(i) कश्मीर घाटी की आकांक्षाएँ : यहाँ के लोगों ने अधिक स्वायत्तता की माँग की। कुछ कट्टरपंथी समूहों ने अलग देश या पाकिस्तान के साथ विलय की भी माँग की।
(ii) जम्मू क्षेत्र की आकांक्षाएँ : जम्मू के लोग मानते थे कि उन्हें राजनीतिक रूप से उपेक्षित किया गया। कुछ लोग जम्मू को अलग राज्य बनाने की माँग करते हैं।
(iii) लद्दाख की आकांक्षाएँ : यहाँ के लोगों को लगता था कि उनकी संस्कृति और पहचान को घाटी के मुकाबले अनदेखा किया गया। वे लंबे समय से स्वतंत्र प्रशासन या केंद्रशासित प्रदेश की माँग कर रहे थे।

6. कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या है? इनमें कौन-सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर : कश्मीर की स्वायत्तता से तात्पर्य है- जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार मिलना। पहले यह अधिकार अनुच्छेद 370 और 35A के तहत मिला था, जो अब 2019 में हटा दिए गए हैं।
कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष :
(i) स्वायत्तता की बहाली का समर्थन- इस पक्ष के लोग मानते हैं कि कश्मीर को भारत में शामिल करने के समय विशेष दर्जा देने का संवैधानिक वादा किया गया था। अनुच्छेद 370 एक कानूनी और ऐतिहासिक समझौता था जिसे एकतरफा हटाना गलत था। स्वायत्तता से कश्मीर में भरोसा और लोकतंत्र मजबूत होता।
(ii) स्वायत्तता का विरोध- एकता और समानता का पक्ष इसके अनुसार भारत में सभी राज्यों को एक समान अधिकार होने चाहिए। अलग विशेषाधिकार देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।
(iii) क्षेत्रीय संतुलन और नया संघीय मॉडल-  यह पक्ष मानता है कि न तो पूर्ण स्वायत्तता और न ही पूर्ण केन्द्रीय नियंत्रण सही है। समाधान यह है कि संघीय ढांचे को मजबूत किया जाए जिससे राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाएं लेकिन राष्ट्रीय एकता बनी रहे।
इन तीनो पक्षों के चलते मुझे तीसरा पक्ष ज्यादा समुचित लगा क्यूंकि :
(i) राष्ट्रीय एकता भी जरूरी है और क्षेत्रीय पहचान भी। अगर स्वायत्तता पूरी तरह से खत्म की जाए, तो विश्वास की कमी और अलगाववाद बढ़ने की सम्भावना अधिक रहती हैं। वहीं, अत्यधिक स्वायत्तता से कानून का असमान पालन और विकास में बाधा आती है।
(ii) संविधान संघीय पर लचीला क्यूंकि राज्यों को सीमित स्वायत्तता देकर भी राष्ट्र की एकता बनाए रखी जा सकती है और जनता के साथ संवाद, स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाना, और प्रशासन में पारदर्शिता ही असली समाधान हैं।

7. असम आंदोलन सांस्कृतिक अभिमान और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली-जुली अभिव्यक्ति था। व्याख्या कीजिए।

उत्तर : असम आंदोलन (1979–1985) एक जन आंदोलन था जिसे असम के लोगों ने विदेशियों की घुसपैठ, सांस्कृतिक पहचान के खतरे, और आर्थिक पिछड़ेपन के विरोध में शुरू किया था।
इस आंदोलन का नेतृत्व AASU (All Assam Students’ Union) ने किया था। यह आंदोलन सिर्फ राजनीतिक नहीं था बल्कि अस्मिता , संसाधनों की रक्षा, और सम्मान के लिए था।
सांस्कृतिक अभिमान की अभिव्यक्ति :
(i) असम के लोगों को डर था कि बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी (विशेषकर बंगाली मुस्लिम) उनकी संस्कृति, भाषा, और पहचान को मिटा देंगे।
(ii) असमिया लोग यह मानते थे कि उनका भाषाई और सांस्कृतिक वर्चस्व धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है।
(iii) आंदोलन में बार-बार यह नारा दिया गया:
"असम असमियों का है" और यह सांस्कृतिक स्वाभिमान की झलक है।

(ii) आर्थिक पिछड़ेपन की अभिव्यक्ति :
(i) असम तेल, चाय, और खनिज जैसे संसाधनों में समृद्ध था, लेकिन फिर भी उसे विकास की दौड़ में पीछे छोड़ दिया गया।
(ii) केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश और बुनियादी ढांचे की कमी ने असम की जनता में असंतोष को जन्म दिया। जिससे लोगों को लगता था कि "हमारे संसाधनों का शोषण हो रहा है, लेकिन बदले में हमें कुछ नहीं मिल रहा।"

इसलिए, असम आंदोलन एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन था जो सांस्कृतिक पहचान की रक्षा और आर्थिक न्याय दोनों की माँग करता था।

8. हर क्षेत्रीय आंदोलन अलगाववादी माँग की तरफ अग्रसर नहीं होता। इस अध्याय से उदाहरण देकर इस तथ्य की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : हर क्षेत्रीय आंदोलन अलगाववादी नहीं होता, बल्कि कई बार ये आंदोलन लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीकों से अपनी पहचान (संस्कृति, भाषा) और अधिकारों (आर्थिक) की माँग करते हैं।
उदाहरण : 
(i) असम आंदोलन (1979–1985) :
अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकना और असम की सांस्कृतिक पहचान को बचाना। यह आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से हुआ और राजीव-लोगोंपोहा समझौता करके शांत हुआ।
(ii) झारखंड आंदोलन :
यहाँ के आदिवासी लोगों ने अपने विकास और पहचान के लिए आंदोलन किया।
उनकी माँग थी एक नया राज्य ताकि उनके समाज की विशेष ज़रूरतों को ध्यान में रखा जा सके और यह आंदोलन संवैधानिक तरीके से सफल हुआ और 2000 में झारखंड राज्य बना।
(iii) पंजाब आंदोलन (1980 के दशक) :
हालाँकि इसमें बाद में कुछ अलगाववादी तत्व शामिल हो गए (जैसे खालिस्तान की माँग), लेकिन मुख्यधारा के नेता, जैसे अकाली दल, केवल धार्मिक सम्मान और क्षेत्रीय अधिकारों की माँग कर रहे थे। उन्होंने भारत से अलग होने की नहीं, बल्कि संविधान के भीतर समाधान की बात की।
निष्कर्ष : 
कई आंदोलन सिर्फ चाहते हैं कि उन्हें आर्थिक विकास मिले, उनकी संस्कृति और भाषा को मान्यता मिले, और उन्हें राजनीतिक पहचान दी जाए।

9. भारत के विभिन्न भागों से उठने वाली क्षेत्रीय मांगों से 'विविधता में एकता' के सिद्धांत की अभिव्यक्ति होती है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्क दीजिए।

उत्तर : हां, मैं इस कथन से पूरी तरह सहमत हूँ कि भारत के अलग-अलग हिस्सों से उठने वाली क्षेत्रीय माँगें ‘विविधता में एकता’ के सिद्धांत की अभिव्यक्ति होती और एकता की भावना को मजबूत बनती हैं। 
तर्क : 
(i) भारत एक बहुभाषी, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है जहां हर राज्य की अपनी भाषा, पहनावा, परंपराएं और संस्कृति है। जब कोई राज्य अपनी भाषा या संस्कृति की रक्षा की माँग करता है, तो वह भारत से अलग नहीं होना चाहता, बल्कि वह चाहता हैं कि उसकी पहचान को भारत के भीतर सम्मान और स्थान मिले।
(ii) अधिकतर क्षेत्रीय आंदोलन अलग देश की नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकारों और पहचान की माँग करते हैं। जैसे: तमिलनाडु में हिंदी विरोध- भाषायी सम्मान की माँग और असम में विदेशी घुसपैठ का विरोध- सांस्कृतिक और संसाधनों की रक्षा की माँग आदि।
(iii) भारत का संघीय ढाँचा इसीलिए बनाया गया ताकि राज्यों को कुछ स्वतंत्रता और अधिकार मिल सकें। अलग-अलग राज्यों की माँगों को मानकर भारत ने राज्य पुनर्गठन, भाषायी राज्यों का निर्माण, और केंद्रशासित प्रदेशों की स्थापना की
निष्कर्ष : 
भारत की एकता तभी संभव है जब उसकी विविधताओं को सम्मान मिले। क्षेत्रीय माँगें दिखाती हैं कि लोग भारत का हिस्सा बने रहकर अपनी स्थानीय पहचान को बचाना चाहते हैं -यही असली "विविधता में एकता" है।

10. नीचे लिखे अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें :

हजारिका का एक गीत....  एकता की विजय पर है ; पूर्वोत्तर के सात  राज्यों को इस गीत में एक ही माँ की सात बेटियाँ कहा गया है....  मेघालय अपने रास्ते गई....   अरुणाचल भी अलग हुई और मिजोरम असम के द्वार पर दूल्हे की तरह दूसरी बेटी से ब्याह रचाने को खड़ा है....  इस गीत का अंत असमी लोगों की एकता को बनाए रखने के संकल्प के साथ होता हैऔर  इसमें समकालीन असम में मौजूद छोटी-छोटी कौमों को भी अपने साथ एकजुट  रखने की बात कही गई है.... करबी और मिजिंग हमारे ही प्रियजन है।

----- संजीव बरुआ

(1) लेखक यहाँ किस एकता की बात कर कह रहा है?
(2) पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोत्तर के कुछ राज्य क्यों बनाए गए?
(3) क्या आपको लगता है कि भारत के सभी क्षेत्रों के ऊपर एकता की यही बात लागू हो सकती है? क्यों?
उत्तर : (1) लेखक पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता की बात कर रहा है। वह यह बताना चाहता है कि असम और उससे बने अन्य राज्य जैसे मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश भले ही राजनीतिक रूप से अलग हुए हों, लेकिन भावनात्मक रूप से वे एक ही परिवार की बेटियाँ हैं- जो एक साझी विरासत, इतिहास और संस्कृति को साझा करती हैं
(2) पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोत्तर के कुछ राज्य इसलिए बनाए गए क्योंकि वहाँ की जनजातियों और समुदायों को लगता था कि उनकी भाषा, संस्कृति और पहचान को असम सरकार में ठीक से स्थान नहीं मिल रहा और वे अपनी संस्कृति की रक्षा और प्रशासनिक सुविधा के लिए अलग राज्य या स्वायत्तता चाहते थे। उदाहरण: नागालैंड को 1963 में एक अलग राज्य का दर्जा मिला।
(3) हाँ, यह बात भारत के सभी हिस्सों पर एकता की यही बात लागू हो सकती है क्योंकि:
भारत एक विविधताओं से भरा देश है जहाँ हर राज्य की भाषा, संस्कृति, पहनावा, खानपान और रीति-रिवाज अलग हैं फिर भी हम सब मिलकर "भारत" नामक एक राष्ट्र बनाते हैं। जैसे: तमिलनाडु अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करता है, पंजाब में धार्मिक पहचान महत्वपूर्ण है, फिर भी ये राज्य भारत की एकता का हिस्सा हैं।
"विविधता में एकता ही भारत की असली ताकत है"।





🟢 FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1. Class 12 Political Science Chapter 8 – क्षेत्रीय आकांक्षाएँ किस बारे में है?
Ans: यह अध्याय भारत के विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों की आकांक्षाओं, स्वायत्तता की मांग और क्षेत्रीय पहचान के मुद्दों पर आधारित है।

Q2. क्या यह अध्याय बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है?
Ans: हाँ, इस अध्याय से Short Answer और Long Answer Questions अक्सर पूछे जाते हैं। इसलिए इसके NCERT Solutions पढ़ना आवश्यक है।

Q3. इस अध्याय के मुख्य विषय कौन-कौन से हैं?
Ans: इस अध्याय में क्षेत्रीय पहचान, स्वायत्तता की मांग, अलगाववादी आंदोलन, पंजाब, असम, कश्मीर से जुड़ी समस्याएँ और भारतीय संघ की एकता पर चर्चा की गई है।

Q4. Class 12 Political Science Chapter 8 के NCERT Solutions कहाँ मिल सकते हैं?
Ans: इस पेज पर आपको अध्याय 8 – क्षेत्रीय आकांक्षाएँ के सभी प्रश्न-उत्तर (NCERT Solutions) सरल भाषा में उपलब्ध हैं।


 इस प्रकार Class 12 Political Science Chapter 8 – क्षेत्रीय आकांक्षाएँ के सभी NCERT Solutions (प्रश्न-उत्तर) हमने यहाँ प्रस्तुत किए। यह अध्याय भारत की एकता और विविधता को समझने में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें क्षेत्रीय पहचान, स्वायत्तता की मांग और अलगाववाद जैसी चुनौतियों का अध्ययन किया गया है।




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